उत्तर भारत के मैदानी भागों में इस वर्ष की सर्दी बिना बारिश के ही बीत गई। यही कारण रहा कि यहाँ सामान्य से कम सर्दी पड़ी। पूरी शीत ऋतु के दौरान बूँदाबाँदी को छोडकर कोई विशेष मौसमी हलचल देखने को नहीं मिली।
मौसमी परिदृश्य वर्तमान स्थिति में बदलाव के संकेत दे रहा है। उत्तर भारत को एक के बाद एक दो पश्चिमी विक्षोभ प्रभावित करने वाले हैं। इन मौसमी सिस्टमों के प्रभाव से मौसमी गतिविधियां देखने को मिलेंगी। पहले आने वाला पश्चिमी विक्षोभ अपेक्षाकृत कमजोर होगा और यह सिर्फ ग्लेशियर पर ही बारिश देगा जबकि 3 मार्च को पहुँचने वाले पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव अधिकांश भागों में दिखेगा और इसके चलते मैदानी भागों में एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र भी विकसित होगा।
इन मौसमी हलचलों के प्रभाव से दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में 4 से 6 मार्च तक बारिश दर्ज किए जाने की संभावना है। इस दौरान बादल छाने और बारिश होने से तापमान नीचे आएगा और गर्मी से राहत मिलेगी। पश्चिमी विक्षोभ के आगे निकल जाने के बाद भी चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र मैदानी भागों में बना रहेगा।
बीते 10 दिनों से समूचे उत्तर भारत में बारिश की एक बूंद भी देखने को नहीं मिली है। इससे पहले उत्तर भारत के पर्वतीय राज्यों में 19 और 20 फरवरी को हल्की से मध्यम बारिश की गतिविधियां दर्ज की गई थी। कोई मौसमी हलचल ना होने और तेज़ धूप रहने से तापमान 4 से 6 डिग्री ऊपर चला गया है। इस समय रात का तापमान भी सामान्य से 2 से 3 डिग्री अधिक रिकॉर्ड किया जा रहा है।
सोमवार को सफदरजंग में अधिकतम तापमान 31 डिग्री रहा जो कि सामान्य से 5 डिग्री सेल्सियस अधिक है। जबकि पालम में सामान्य से 6 डिग्री अधिक 31.7 डिग्री सेल्सियस तापमान रिकॉर्ड किया गया।
पंजाब और हरियाणा के प्रमुख शहरों के तापमान नीचे दी गई सारणी में देख सकते हैं:
रात का तापमान भी बीते कुछ दिनों से 15 डिग्री से स्तर पर पहुँच गया है जिससे रात में जारी शीतल मौसम भी दूर जाता दिखाई दे रहा है। आमतौर पर इस स्तर पर तापमान मार्च के तीसरे सप्ताह में पहुंचता है। दिल्ली में मार्च में सामान्य न्यूनतम तापमान 15 डिग्री सेल्सियस है। इसके अनुसार मार्च के पहले पखवाड़े में 15 डिग्री से कम तापमान रहना चाहिए।
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