उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भागों में इस बार प्री-मॉनसून सीजन में यानि 1 मार्च से 11 मार्च तक सामान्य से 8% अधिक वर्षा रिकॉर्ड की गई है।दूसरी ओर पूर्वी उत्तर प्रदेश में बारिश में 22% की कमी रही। स्काईमेट के मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सामान्य से ज्यादा बारिश होने का कारण है,उत्तर भारत में एक के बाद एक पश्चिमी विक्षोभ और इनके प्रभाव से मैदानी इलाकों में विकसित हुए चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र।
हालांकि यही सिस्टम पूर्वी हिस्सों पर भी पहुंचते हैं, लेकिन तब तक इनकी क्षमता काफी कम हो जाती है जिससे पूर्वी भागों में बारिश की गतिविधियों में कमी आती है। इस बीच एक पश्चिमी विक्षोभ जम्मू कश्मीर के पास बना हुआ है। इसके प्रभाव से एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र राजस्थान पर विकसित हुआ है। इस सिस्टम से दक्षिण-पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक एक ट्रफ रेखा बन गई है।
इन सिस्टमों के प्रभाव से आज भी शाम और रात में उत्तर प्रदेश के पश्चिमी जिलों में थोड़े समय के लिए बारिश हो सकती है। अनुमान है कि अगले 12 घंटों तक बारिश और बादलों की गर्जना के साथ तेज हवाएं भी चल सकती हैं। हालांकि 12 मार्च से उत्तर प्रदेश के सभी भागों में मौसम साफ और शुष्क हो जाएगा। लेकिन 13 मार्च की शाम से फिर से बारिश होने की संभावना है। बारिश का आगामी दौर कुछ अधिक समय तक चल सकता है और अनुमान है कि 13 मार्च की शाम से 15 मार्च की सुबह के बीच पश्चिम से लेकर उत्तर प्रदेश के मध्य भागों तक बारिश देखने को मिलेगी।
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