दिल्ली-एनसीआर में पिछले 48 घंटों में प्रदूषण की स्थिति में बड़ा सुधार आया है। दिल्ली का समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) घटकर 160 के स्तर पर आ गया। यानि वायु गुणवत्ता स्वास्थ्य के लिहाज़ काफी बेहतर हो गया है।
फिलहाल प्रदूषित 10 स्थानों में शीर्ष पर रहा नोएडा, जहां पीएम 10 रहा 162 और पीएम 2.5 200 के स्तर पर रिकॉर्ड किया गया। दिल्ली-एनसीआर के अन्य शहरों में भी प्रदूषण में कमी आई है।
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दिल्ली-एनसीआर में सर्दी के मौसम क्यों बढ़ जाता है प्रदूषण?
मॉनसून के वापस लौटने के बाद मौसम के मिजाज़ में बदलाव आता है और तापमान में गिरावट शुरू हो जाती है। धुंध, कुहासे और कोहरे का प्रभाव अधिक हो जाता है। यह धुंध और कुहासा स्थानीय स्तर पर उठने वाले प्रदूषण के लिए ट्रैप का काम करते हैं। उठने वाला प्रदूषण चाहे वह शुष्क कण हों या तरल प्रदूषित तत्व है दूर नहीं जा पाते और वायुमंडल की निचली सतह पर लंबे समय तक बने रहते हैं।
इसके अलावा पंजाब और हरियाणा समेत दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में धान की कटाई के बाद पराली जलाने का काम किसान करते हैं। पराली का धुआं भी उत्तर-पश्चिमी शुष्क हवाओं के साथ दिल्ली-एनसीआर पर अपना डेरा जमाता है जिससे दिल्ली गैस चैंबर में तब्दील हो जाती है।
बारिश का सीजन यानि मॉनसून खत्म होने के बाद राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत एनसीआर के तमाम शहरों पर प्रदूषण का खतरा मंडराने लगता है।
दिल्ली-एनसीआर के आसमान पर प्रदूषण की काली चादर का आवरण बन जाता है जिससे लोगों का सांस लेना दूभर हो जाता है। केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और अनेक संबद्ध एजेंसियों के समूहिक प्रयास के बावजूद दिल्ली को अभी भी प्रदूषण के खतरे से मुक्ति नहीं मिली है।
अब एनसीआर के शहरों गुरुग्राम, फ़रीदाबाद और नोएडा में भी प्रदूषण बढ़ने लगा है और वायु गुणवत्ता खराब होने लगी है।
Image credit: Dainik Bhaskar
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