उत्तर भारत में मैदानी इलाकों के साथ-साथ पर्वतीय भागों में मार्च सामान्य से काफी अधिक बारिश वाला महीना रहा। पहाड़ों पर जम्मू-कश्मीर से लेकर हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड तक सामान्य से ज़्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई है।
पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में भी मार्च महीने में व्यापक बारिश हुई है। मार्च के आखिरी दिनों में भी जम्मू कश्मीर, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश में मध्यम से भारी वर्षा दर्ज की गई थी। इन राज्यों की ऊपरी पहुंच पर भी बर्फबारी हुई थी जो मार्च के आखिर में सामान्य नहीं है।
31 मार्च को उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, वेस्ट यूपी, राजस्थान के उत्तरी हिस्सों में भी तेज हवाओं के साथ बारिश और गरज के साथ बौछारें पड़ीं।
उत्तर के राज्यों में बारिश के आंकड़े
1 मार्च से 31 मार्च के बीच सामान्य से सबसे अधिक बारिश हरियाणा में दर्ज की गई, जहां लगभग 70 मिमी बारिश हुई, सामान्य से 480% अधिक है। उत्तर प्रदेश में 422% अधिक 42 मिमी वर्षा हुई। राजस्थान में 384% अधिक 20 मिमी बारिश हुई। दिल्ली में 373% अधिक 70 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई। पंजाब में 256% ज़्यादा 85 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई।
उत्तराखंड में 110% अधिक 116 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई। जबकि हिमाचल प्रदेश में सामान्य से 52% ज़्यादा 170 मिमी वर्षा हुई और जम्मू कश्मीर में सामान्य से 38% ज़्यादा 210 मिमी बारिश दर्ज की गई।
उत्तर भारत में बढ़ेगा तापमान
अप्रैल का पहला हफ्ता उत्तर भारत में शुष्क मौसम लेकर आया है। अनुमान है कि 7 अप्रैल तक उत्तर में पहाड़ों से लेकर मैदानी इलाकों तक मौसम साफ और शुष्क रहेगा। यही वजह है कि अब उत्तर भारत के मैदानी शहरों में दिन का तापमान बढ़ने लगा है। दिल्ली में अधिकतम तापमान अगले 2-3 दिनों में 35-36 डिग्री के बीच पहुँच सकता है।
हरियाणा के दक्षिणी इलाकों, दक्षिण-पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कई इलाकों में दिन का तापमान 38 डिग्री या उससे भी ऊपर पहुँच सकता है।
बढ़ते तापमान का कोरोना पर क्या होगा असर
ऐसा माना जा रहा है कि अधिक तापमान कोरोना वायरस के अधिक समय तक जीवित रहने में मददगार नहीं होगा। इससे उम्मीद की जा रही है कि अगर तापमान बढ़ता है तो भारत में कोरोना के मामलों में कमी आ सकती है। हालांकि इसके बारे में अब तक वैज्ञानिक स्पष्ट नहीं हो पाये हैं कि तापमान बढ़ने का इस पर कोई नकारात्मक असर होगा या नहीं।
Image credit: The Tribune
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