भारत दुनिया के उन देशों में से है, जहां न सिर्फ मौसम को संतुलित बनाए रखने के लिए बल्कि तमाम वनस्पतियों के समुचित विकास और पारिस्थितिकी तंत्र को संयमित करने के लिए समय-समय पर बारिश की आवश्यकता होती है। देश में मुख्य बारिश वर्षा ऋतु यानी मॉनसून सीजन में होती है। साल भर में होने वाली कुल बारिश का 75% अनुपात 1 जून से शुरू होकर 30 सितंबर को खत्म होने वाले मॉनसून सीजन में देखा जाता है।
मॉनसून के पहले की बारिश को प्री-मॉनसून और बाद की बारिश को पोस्ट-मॉनसून रेन या विंटर रेन के तौर पर जाना जाता है। प्री-मॉनसून सीजन 1 मार्च से शुरू हो चुका है। 1 मार्च से लेकर 31 मई तक मौसम में होने वाले बदलावों को प्री मॉनसून हलचल कहा जाएगा।
एक नजर डालते हैं 1 मार्च से 24 मार्च के बीच देश के बारिश के आंकड़ों पर, और जानते हैं कि कौन सा ऐसा राज्य है जिसमें इस दौरान सामान्य या उससे अधिक बारिश हुई और कौन सा ऐसा राज्य है जहां पर बारिश कम हुई या सूखे जैसे हालात रहे।
मार्च के शुरुआती दिनों में होने वाली सामान्य बारिश नुकसान नहीं पहुंचाती लेकिन मार्च का आखिर आते-आते हालत बदलते हैं देश भर में हार्वेस्टिंग यानी कटाई मड़ाई का दौर शुरू हो जाता है। ऐसे में खेती और किसानी से जुड़े लोग कम से कम यही प्रार्थना करते हैं कि बारिश ना और मौसम सूखा रहे ताकि उनकी फसल को नुकसान ना हो और कटाई-मड़ाई के काम में कोई बाधा ना आए।
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मार्च की विदाई में अब कुछ ही दिन शेष रह गए हैं। इस दौरान देश के ज़्यादातर हिस्सों में मौसम शुष्क बना रहेगा। हालांकि 28-29 मार्च को कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखंड, पूर्वी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार में हल्की वर्षा हो सकती है। जबकि पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और बिहार समेत तमाम कृषि प्रधान राज्यों में मौसम साफ और शुष्क रहेगा, जिसे फसलों के लिए अनुकूल माना जाएगा।
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