पंजाब और हरियाणा में मॉनसून दिल्ली में दस्तक देने के आसपास ही पहुँचता है। हालांकि, मॉनसून गति के क्षमता के आधार पर इसमें 4-5 दिनों का अंतर हो सकता है। यह अंतर खासकर पंजाब में देखी जाएगी।
पंजाब और हरियाणा में आमतौर पर 1 जुलाई को मॉनसून का आगमन हो जाता है लेकिन इस समय मौसमी स्थितियां 1 जुलाई तक मॉनसून के आने के लिहाज़ से अनुकूल नहीं है। स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, पंजाब में इस बार मॉनसून के आने में देरी हो सकती है और संभवतः 9 जुलाई तक पंजाब में मॉनसून के पहुंचने की उम्मीद है। जबकि, हरियाणा में भी एक सप्ताह की देरी के साथ 5 जुलाई के आसपास मॉनसून का आगमन हो सकता है।
इन दोनों राज्यों में मॉनसून की बारिश दक्षिण पश्चिम मॉनसून पर ज्यादा निर्भर नहीं होती है। बल्कि, पश्चिमी हिमालय पर बने पश्चिमी विक्षोभ और इस प्रणाली से बनने वाले चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र से मॉनसून की गति प्रभावित होते हैं और इस क्षेत्र में अच्छी बारिश देने में मदद करते हैं।
हालांकि, पंजाब और हरियाणा में मॉनसून की अवधि व्यापक नहीं है। जुलाई और अगस्त दोनों राज्यों के लिए एकमात्र सक्रिय मॉनसून का महीना है। दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के का देर से आने और जल्दी वापस जाने के पीछे यही वजह है।
इस बीच, पूरे देश में दक्षिण पश्चिम मॉनसून की प्रगति पहले से ही धीमी रही है और मौजूदा स्थिति भी बेहतर नहीं दिख रही है। नीचे दिए गए तालिका बता रही है कि देश के अधिकांश हिस्सों में दक्षिण पश्चिम मॉनसून की शुरुआत में देरी क्यूं हुई है।
दूसरी ओर, पंजाब और हरियाणा पहले ही जून में भारी वर्षा की कमी से जूझ रहे हैं। स्काइमेट के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, हरियाणा में अब तक बारिश में 52 प्रतिशत की कमी है, जबकि पंजाब में यह कमी 35 प्रतिशत है।
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