मॉनसून सीजन में सबसे अधिक बारिश आमतौर पर जुलाई और अगस्त महीने में होती है. आंकड़ों के मुताबिक जुलाई महीने में मॉनसून सीजन में होने वाली कुल वर्षा की 33% बारिश और अगस्त में 30% बारिश होती है। यानी 4 महीनों के मॉनसून सीजन में दो तिहाई बारिश जुलाई और अगस्त में आमतौर पर होती है।
अगर इन दोनों महीनों में मॉनसून का प्रदर्शन अच्छा रहता है तो मॉनसून सामान्य की ओर जाता है अन्यथा देश को सूखे जैसे हालात का सामना करना पड़ता है। जहां तक जून और सितंबर की बात है तो जून में मॉनसून का आगमन होता है और सितंबर में मॉनसून विदा होने लगता है इसलिए इन दोनों महीनों में आमतौर पर बारिश कम देखने को मिलती है। इसके अलावा और भी कई पहलू हैं जिनसे इन दोनों महीनों में ज्यादा बारिश की अपेक्षा नहीं की जाती।
दक्षिण पश्चिम मॉनसून आमतौर पर चरम पर जुलाई महीने से पहुंचता है। इसलिए अगर जुलाई में अच्छी बारिश नहीं होती तो चिंता बढ़ जाती है। हालांकि राहत की बात यह होती है कि अभी अगस्त बाकी है जिसमें अच्छी बारिश देने की क्षमता होती है। ऐसा देखा गया है कि आधे समय यानि लगभग 50% मौकों पर जुलाई और अगस्त महीनों में अच्छी बारिश देखने को मिलती है। लेकिन बाकी के 50% समय में अगर देखें तो मॉनसून का प्रदर्शन इन दोनों महीनों में अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा है।
इन दोनों महीनों को मॉनसून वर्षा की भरपाई करने वाले महीने के तौर पर देखा जाता है। अगर जुलाई में अच्छी बारिश नहीं होती तो अगस्त उसकी भरपाई करता है। इसी तरह अगर अगस्त कमजोर रहता है तो इससे पहले जुलाई में अच्छी बारिश हो चुकी होती है। मॉनसून का इतिहास अगर देखें तो जिस वर्ष जुलाई और अगस्त में अच्छी बारिश नहीं होती उस वर्ष मॉनसून वर्षा कमी काफी अधिक हो जाती है और कई बार तो अकाल की स्थिति भी आ जाती है।
स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार अगर जुलाई और अगस्त में बारिश में कमी 10% से ज्यादा रह जाती है तो दक्षिण-पश्चिम मॉनसून का प्रदर्शन चिंताजनक स्थिति में पहुंच जाता है। जुलाई महीने में आमतौर पर 289 मिलीमीटर बारिश होती है जबकि अगस्त में 261 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की जाती है।
नीचे दिए गए टेबल में देख सकते हैं कि किस तरह से बीते वर्षों में जुलाई और अगस्त महीनों ने मॉनसून वर्षा में कमी की भरपाई की है और मॉनसून का प्रदर्शन सामान्य रहा है।
इसी तरह कई बार ऐसा हुआ है जब दोनों महीने यानी जुलाई और अगस्त में अच्छी बारिश नहीं हुई और उस साल देश में अकाल पड़ा। नीचे दिए गए टेबल में ऐसे उदाहरण देख सकते हैं।
आमतौर पर ऐसा अल नीनो वर्षों में देखने को मिलता है। इसके अलावा और भी कई अन्य पहलू हैं जिनके कारण मॉनसून सीजन में बारिश कम होती है। अगर इस वर्ष की बात करें तो जून महीने में सामान्य से 5% कम बारिश हुई। जुलाई सामान्य से 6% कम वर्षा के साथ संपन्न हुआ। यह कमी चिंताजनक नहीं है अगर बाकी बचे मॉनसून सीजन में अच्छी बारिश हो जाती है तो।
हालांकि अगस्त के शुरूआती सप्ताह में मॉनसून का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा और बारिश में कमी का आंकड़ा 10% पर बना रहा। अगर यह कमी लगातार बनी रहती है तो स्थिति चिंताजनक हो सकती है।
इस बीच बीते दो-तीन दिनों में बारिश में कुछ सुधार दिखाई दिया है क्योंकि बंगाल की खाड़ी में एक डिप्रेशन बना है। हालांकि इस सिस्टम का प्रभाव अब तक पूर्वी भारत में सीमित रहा है। अब अगले 48 घंटे में इसके प्रभाव से मध्य भारत के भागों में अच्छी बारिश होगी। लेकिन देश के बाकी भागों में जल्द मूसलाधार बारिश की संभावना फिलहाल दिखाई नहीं दे रही है जो अच्छा संकेत नहीं है।
Image credit: Hindustan Times
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