मॉनसून के वापस होने के बाद सर्दियों की आहट आने लगती है। साथ ही शुरू होता है पश्चिमी विक्षोभ के अधिक संख्या में आने का सिलसिला, जो उत्तर के पर्वतीय इलाकों में सर्दियों के मौसम में अच्छी बारिश देते हैं। जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बर्फबारी भी इन्हीं पश्चिमी विक्षोभों के चलते होती है। स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार उत्तर भारत में अक्टूबर से पश्चिमी विक्षोभ अधिक संख्या में आने लगते हैं और यह सिलसिला फरवरी के अंत तक और कभी कभी मार्च तक जारी रहता है।
हालांकि जम्मू कश्मीर में बर्फबारी के लिए अक्टूबर महीना अनुकूल नहीं होता है क्योंकि अक्टूबर तक कोई प्रभावी पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत तक नहीं पहुंचता है। लेकिन ऐसा नहीं है कि इस महीने में अच्छी बर्फबारी हो ही नहीं सकती है। बीते वर्ष की ही बात करें तो 17 से 19 अक्टूबर के बीच श्रीनगर और उससे सटे जम्मू कश्मीर के उत्तरी भागों में भारी बर्फबारी दर्ज की गई थी।
इस दौरान जम्मू कश्मीर के श्रीनगर, क़ाज़ीगुंड और बनिहाल जैसे निचले इलाकों में बारिश आमतौर पर होने लगती है और पहाड़ी भागों पर यदा-कदा बर्फबारी भी शुरू हो जाती है। हालांकि इस वर्ष अब तक किसी प्रभावी पश्चिमी विक्षोभ के ना आने के चलते पश्चिमी हियालयी भागों में मौसम मुख्यतः शुष्क बना हुआ है। इस बीच एक कम प्रभावी पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत के करीब है जिसके चलते जम्मू कश्मीर में अगले 24 घंटों के दौरान कहीं-कहीं हल्की बारिश दर्ज किए जाने की संभावना है। उसके पश्चात यह सिस्टम निष्प्रभावी हो जाएगा और मौसम फिर से साफ हो जाएगा।
इस सिस्टम के प्रभाव से जम्मू कश्मीर के अधिकांश हिस्सों में न्यूनतम तापमान में वृद्धि हुई है और यह सामान्य से 1-3 डिग्री अधिक दर्ज किया जा रहा है। वर्तमान मौसमी आंकलन के आधार पर स्काइमेट का अनुमान है कि 24 घंटों के बाद अगले 4-5 दिनों तक पश्चिमी हिमालयी भागों में मौसम शुष्क रहेगा क्योंकि अभी कोई पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत के करीब आता दिखाई नहीं दे रहा है।
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