[Hindi] आपदा प्रभावित उत्तराखंड में क्या प्रभाव होगा आगामी पश्चिमी विक्षोभ का

February 8, 2021 1:30 PM|

उत्तराखंड में 7 फरवरी, 2021 को ग्लेशियर में विस्फोट के बाद आई आपदा के चलते लोग भयाक्रांत हैं। ऐसे में मौसम बिगड़ने की कोई भी खबर उनकी परेशानी को और बढ़ा सकती है। गौरतलब है कि ग्लेशियर फटने के कारण धौलीगंगा नदी में पानी का प्रवाह अचानक बहुत तेज हो गया था जिसके चलते उसके रास्ते में आने वाले तमाम इलाकों में बड़े जान और माल के नुकसान की खबर है।

इस बीच उत्तर भारत में एक जम्मू कश्मीर के पास एक पश्चिमी विक्षोभ जल्द दस्तक देने वाला है। इस सिस्टम के प्रभाव से आज रात से गिलगित बालटिस्तान में कुछ स्थानों पर वर्षा की गतिविधियां शुरू हो सकती हैं। कल यानि 9 फरवरी को उत्तर भारत के पहाड़ों पर बारिश और हिमपात की गतिविधियां बढ़ सकती हैं और उम्मीद है कि जम्मू-कश्मीर, गिलगित-बालटिस्तान, मुजफ्फराबाद के अलावा लद्दाख में भी कुछ स्थानों पर हल्की और एक-दो जगहों पर मध्यम वर्षा जबकि ऊंचे इलाकों में हल्की बर्फबारी देखने को मिलेगी।

हिमाचल प्रदेश के भी उत्तरी इलाकों में कल कहीं-कहीं पर हल्की वर्षा या बर्फबारी की संभावना है। लेकिन राहत की बात है कि उत्तराखंड के इलाकों पर इस मौसमी सिस्टम का विशेष असर नहीं पड़ेगा। हालांकि 10 फरवरी को केदारनाथ, बद्रीनाथ, चमोली, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग समेत उत्तराखंड के उत्तर-पूर्वी भागों में कहीं-कहीं पर गरज के साथ हल्की वर्षा हो सकती है। आगामी पश्चिमी विक्षोभ कमजोर है जिससे बहुत अधिक भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है।

उत्तराखंड में 7 फरवरी, 2021 को आई आपदा सीधे तौर पर मौसम से जुड़ी आपदा तो नहीं थी लेकिन परोक्ष रूप से उसका संबंध मौसमी बदलावों से था। यही कारण है कि इस समय किसी भी तरह की मौसमी हलचल की खबर उत्तराखंड के लोगों को परेशान कर सकती है।

आगामी बारिश ऐसी मौसमी घटनाओं की पुनरावृत्ति करने का कारण बनेगी ऐसी आशंका फिलहाल नहीं है। लेकिन जनवरी महीने में हुई व्यापक बर्फबारी और फरवरी के शुरुआती दिनों में हुए अच्छे हिमपात के कारण ग्लेशियर्स पर दबाव ज्यादा है और अब तापमान बढ़ने वाले हैं। ऐसे में इस तरह की घटनाएं पूरी तरह से नकारी नहीं जा सकतीं। ऐसे में नदियों के आसपास वाले क्षेत्रों में न सिर्फ लोगों को सतर्क रहने की आवश्यकता है बल्कि राहत एजेंसियों को भी सतर्क रहना चाहिए ताकि आवश्यकता पड़ने पर तत्काल बचाव की कार्यवाही शुरू की जा सके।

Image credit: The Economic Times

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