सर्वोच्च अदालत ने प्रदूषण फैलाने वाली कंपनियों के लिए चेतावनी दी है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड देश भर में प्रदूषण फैलाने वाली ऐसी सभी इकाइयों को बंद करेंगे जहां प्रदूषित जल या कचरा प्रबंधन के लिए प्राथमिक उपचार संयंत्र यानि PETP काम नहीं कर रहे हैं। तीन महीने का नोटिस देकर ऐसी इकाइयों को बंद करने का आदेश दिया गया है। गौरतलब है कि किसी भी औद्योगिक इकाई में प्राथमिक उपचार संयंत्र इसलिए आवश्यक हैं ताकि इन इकाइयों से निकलने वाला कचरा बिना साफ किए नदियों, झीलों या जलाशयों जैसे किसी भी जलश्रोत में ना जाए।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड निर्धारित कानून के अनुसार PETP स्थापित करने के लिए प्रत्येक फैक्ट्री को एक विज्ञापन के जरिये सूचित करेंगे। इस नोटिस की समयसीमा 3 महीने की होगी। 3 माह की समय अवधि पूरी होने के बाद सभी औद्योगिक इकाइयों की जांच की जाएगी कि प्राथमिक उपचार संयंत्र स्थापित है या नहीं और स्थापित है तो काम कर रहा है या नहीं। जिस किसी इकाई में प्राथमिक उपचार संयंत्र नहीं पाया जाएगा या जहां यह संयंत्र काम नहीं कर रहे होंगे उन्हें तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया जाएगा।
विद्युत आपूर्ति करने बोर्डों से ऐसे औद्योगिक संस्थानों की बिजली आपूर्ति बंद करने को कहा जाएगा और प्राथमिक उपचार संयंत्र स्थापित एवं उसे सक्रिय करने की स्थिति में ही विद्युत आपूर्ति पुनः शुरू की जा सकेगी। इसके साथ ही सरकारी औद्योगिक संस्थानों को प्राथमिक उपचार संयंत्र लगाने के लिए ज़मीन का प्रबंध करने और अन्य औपचारिकताएं पूरी करने के बाद 3 वर्ष के भीतर प्राथमिक उपचार संयंत्र स्थापित करने होंगे। राज्यों को इन संयंत्रों को स्थापित करने के संबंध में राष्ट्रीय हरित अधिकरण की संबद्ध शाखा में रिपोर्ट देनी होगी।
सर्वोच्च अदालत द्वारा दिये गए इस सख्त आदेश के बाद उम्मीद की जा सकती है कि सरकारी तंत्र इसका पालन करवाने में गंभीरता दिखाएगा और औद्योगिक इकाइयां भी विभिन्न तरह से फैल रहे प्रदूषण को रोकने के लिए सक्रिय होंगी। प्रदूषण से पर्यावरण, पारिस्थितिकी और मौसम सभी कुछ प्रभावित होते हैं। ज़ाहिर है इसका असर आम जन-जीवन, वनस्पतियों और फसलों पर नकारात्मक रूप में दिखाई देता है।
Image credit: India Herbs
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