जून माह के शुरू होते ही हम मॉनसून सीज़न में प्रवेश कर जाते हैं। भले ही दक्षिण पश्चिम मॉनसून अपने तय समय 1 जून से कुछ विलंब से आए। चार माह तक चलने वाला मॉनसून सत्र 1 जून से शुरू होता है और 30 सितंबर तक जारी रहता है। इसीलिए 1 जून से होने वाली बारिश के आंकड़ों को मॉनसूनी बारिश के आंकड़ों के तौर पर देखा जाता है।
जून का पहल दिन बीत गया है इसलिए आंकड़ों में देखते हैं कि देश में कुल कितनी बारिश दर्ज की गई। मॉनसून सत्र के पहले दिन 1 जून की सुबह 8:30 से बीते 24 घंटों के दौरान सामान्य से कम बारिश हुई है। भारत में इस दौरान 2 मिलीमीटर वर्षा रिकॉर्ड की गई जो औसत बारिश 2.7 मिलीमीटर के आंकड़े से 28% कम है।
अलग-अलग हिस्सों में हुई बारिश के आंकड़े नीचे दिए गए हैं जिनसे बारिश के वितरण को आसानी से समझ सकते हैं।
ऊपर दिए गए आंकड़े यह दर्शाते हैं कि बारिश का सबसे अधिक प्रसार प्रायद्वीपीय भारत में रहा। इसमें भी दक्षिण भारत के राज्यों में केरल एक अकेला ऐसा राज्य है जिसका इन आंकड़ों में सबसे अधिक योगदान रहा। केरल में कई जगहों पर मध्यम से भारी बारिश हुई जबकि एक-दो इलाकों में मूसलाधार वर्षा दर्ज की गई।
इसके बाद अधिक वर्षा वाले इलाकों में पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत के राज्यों को गिना जा सकता है। आमतौर पर दक्षिण भारत के साथ पूर्वोत्तर राज्यों में बारिश बढ़ती है और पूर्वी भारत का नंबर उसके काफी समय बाद आता है। लेकिन इस बार इस क्रम में बदलाव देखने को मिला। गंगीय पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम में हल्की से मध्यम बारिश दर्ज की गई। दूसरी तरफ असम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में कम बारिश हुई।
जबकि मध्य और उत्तर-पश्चिम भारत में मॉनसून सीज़न के पहले दिन मौसम सूखा रहा।
बीते 24 घंटों के बारिश के आंकड़े नीचे दी गई सारणी में देख सकते हैं।
कल के मौसम का पूर्वानुमान
अगले 24 घंटों में देश भर के मौसम में कोई विशेष बदलाव के आसार नहीं हैं। प्रायद्वीपीय भारत विशेषकर केरल और तटीय कर्नाटक में मध्यम से भारी बारिश जारी रहेगी इसके अलावा अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह तथा लक्षद्वीप में भी मूसलधार वर्षा बनी रहेगी।
उत्तर भारत के मैदानी भागों और मध्य भारत में भी शुष्क और गर्म मौसम इसी तरह बना रहेगा। हालांकि पूर्वी भारत में अगले 24 घंटों बारिश में कुछ कमी ज़रूर देखने को मिल सकती है।
Image Credit: KVTours
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