प्रदूषण पर हाल ही में एक अंतरराष्ट्रीय आयोग द्वारा जारी किए गए आंकड़े भारत के लिए बड़ी चिंता का विषय है। आयोग के मुताबिक दुनिया भर में प्रदूषण से सबसे अधिक मौतें भारत में होती हैं। आयोग द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 2015 में प्रदूषण जनित बीमारियों की चपेट में आने से समय पूर्व लगभग 25 लाख लोगों ने अपनी जान गँवाई, जबकि समूचे विश्व में कुल 90 लाख लोगों को प्रदूषण के चलते जानलेवा बीमारियों ने ग्रसित किया।
भारत की स्थिति सबसे दयनीय रही क्योंकि प्रदूषण के कारण दुनियाभर में मरने वालों में सबसे अधिक 28 प्रतिशत भारत में है। इसमें भी सबसे अधिक मौतें वायु प्रदूषण के चलते हुई हैं। आंकड़े बताते हैं कि लगभग 6.5 मिलियन यानी 65 लाख लोग दुनिया भर में वायु प्रदूषण के चलते हुई बीमारियों से जान गँवा चुके हैं। भारत और बांग्लादेश दुनिया के 10 सबसे प्रदूषित देशों में हैं। अध्ययन के आंकड़े एक जनरल द लैंसेट में प्रकाशित हुए हैं।
प्रदूषण के चलते भारत में होती हैं सबसे अधिक मौतें; 2015 में 25 लाख लोगों को प्रदूषण ने लीला
भारत के अलावा पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश और केन्या में भी हालात कुछ इसी तरह के हैं। इन देशों में भी 4 मौतों में एक मौत प्रदूषण के कारण होती है। भारत में 2015 में 18 लाख लोग वायु प्रदूषण के चलते मौत के शिकार हुए जबकि 6.40 लाख लोग जल जनित प्रदूषण के चलते बे-मौत मारे गए। अध्ययन के मुताबिक दुनिया भर में प्रदूषण से होने वाली कुल मौतों में आधी चीन और भारत में होती हैं।
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि हवाओं में पार्टिकुलेट मैटर यानि प्रदूषण के कणों की मात्रा में बेतहाशा वृद्धि हुई है, जो सांस के जरिए लोगों को गंभीर बीमारी की चपेट में ले जाते हैं। इसमें भी सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है 2015 में पूरी दुनिया में जितनी मौतें हुई हैं उनमें 16 प्रतिशत प्रदूषण के कारण बताई गई हैं।
कनाडा विश्वविद्यालय के स्वास्थ्य विज्ञान के प्रोफेसर ब्रूस लाईंफीयर, जो प्रदूषण और स्वास्थ्य संबंधी लैंसेट आयोग के शोधपत्र के लेखक भी हैं, ने बताया है कि यह पहला अवसर है जब वायु जल मृदा और अन्य प्रदूषण कारकों का वैश्विक अध्ययन किया गया है। अध्ययन में प्रदूषण को कम करने के उपाय भी सुझाएं गए हैं। साथ ही इसमें आने वाली लागत का भी आंकलन किया गया है।
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एक ओर जहां ग्लोबल वार्मिंग समूचे विश्व के लिए चिंता का विषय बन रही है वहीं दूसरी ओर प्रदूषण महामारी का रूप धारण कर रहा है और अधिक आबादी वाले देशों को अपनी चपेट में ले रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो प्रतिरक्षा प्रणाली का कमज़ोर होना, जीवन शैली में बदलाव और उद्योग-धंधों का बढ़ना प्रदूषण जनित मौतों का प्रमुख कारण बन रहा है।
प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग-धंधे स्थापित करने में अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों की अनदेखी भी प्रदूषण को बढ़ाने में प्रमुख कारण हैं। वृक्षारोपण सहित अन्य उपायों से प्रदूषण कम किया जा सकता है लेकिन इन मानकों की अनदेखी प्रदूषण जनित बीमारियों को रोक पाने में नाकामयाबी का सबसे बड़ा कारण है। समय आ गया है कि इस पर सभी देश न सिर्फ कठोर नियम बनाएँ बल्कि उनका अनुपालन सुनिश्चित करें ताकि बेवजह मौतों को रोका जा सके।
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