भारत में मॉनसून सीजन बहुत मायने रखता है। भारत की अर्थव्यवस्था के लिए भी इसका बहुत महत्व है, क्योंकि अगर मॉनसून अच्छा होता है तो ना सिर्फ खरीफ सीजन में बोई जाने वाली फसलें अच्छी होती हैं बल्कि रबी सीजन में भी अच्छी उपज की संभावना बढ़ जाती है। यानी अच्छा मॉनसून लगभग बंपर खाद्यान्न उत्पादन की गारंटी है।
ऐसे में सबकी नजरें मॉनसून पर रहती हैं। भारत में 4 महीनों का बारिश का यह सीजन 1 जून से शुरू होता है। मॉनसून सबसे पहले केरल में दस्तक देता है। धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए जुलाई में उत्तर भारत को पार कर जाता है। भारत में मॉनसून के आने और जाने की जो तिथियाँ निर्धारित की गई थीं वह 1901 से 1940 के बीच देश के 149 स्थानों से इकठ्ठा किए गए आंकड़ों पर आधारित थी।
मॉनसून के रुख में बदलाव से किया गया संशोधन
पिछले कुछ समय से मॉनसून के आगमन, इसके प्रदर्शन तथा वापसी में असामान्य बदलावों के चलते यह मांग उठ रही थी कि दक्षिण पश्चिम मॉनसून के आगमन और इसकी वापसी की तिथियों को फिर से निर्धारित किया जाना चाहिए। इसी क्रम में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने वर्ष 1961 से 2019 के बीच 58 वर्षों में मॉनसून के आगमन के आधार पर इसके आगमन के समय में संशोधन किया है जबकि वर्ष 1971 से 2019 के बीच 48 वर्षों में मॉनसून की वास्तविक वापसी के आधार पर इसकी वापसी की तिथियों को फिर से निर्धारित किया गया है।
मध्य भारत में और देरी से आएगा मॉनसून
मॉनसून के दस्तक देने की तिथि 1 जून ही रखी गई है। इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। लेकिन केरल से आगे तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश के भागों में मॉनसून की प्रगति को 3 से 7 दिन पीछे किया गया है। प्रगति में भले देरी की गई है लेकिन समूचे देश को पार करते हुए उत्तर-पश्चिम भारत के आखिरी ठिकाने से भी आगे निकाल जाने तिथि 15 जुलाई से घटाकर 8 जुलाई कर दी गई है।
मॉनसून की वापसी के समय को भी बदला गया
मॉनसून की वापसी यानी मॉनसून विदड्रॉल की समय सीमा में व्यापक बदलाव हुआ है, खासतौर पर उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत के भागों में। उत्तर-पश्चिम भारत से मॉनसून की वापसी के समय को 7 से 14 दिनों तक आगे बढ़ा दिया गया है। हालांकि दक्षिण भारत से यानी समूचे भारत से मॉनसून के विदा होने की अंतिम तिथि 15 अक्टूबर ही रखी गई है। इसमें कोई बदलाव नहीं आया है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार मॉनसून के आने और मॉनसून के विदा होने की तिथियों में बदलाव कृषि, जल संसाधन प्रबंधन और ऊर्जा प्रबंधन इत्यादि क्षेत्रों के लिए प्रासंगिक होगा है।
मुंबई से 8 अक्तूबर को होगा विदा
दिल्ली में पहले मॉनसून के आगमन की सामान्य तिथि 23 जून और वापसी की सामान्य समय सीमा 22 सितंबर थी। इसे अब बदलकर क्रमशः 27 जून और 25 सितंबर किया गया है। मुंबई में मॉनसून के आगमन की तारीख पहले 10 जून थी, इसे अब बदलकर 11 जून कर दिया गया है। वहीं वापसी की तिथि 29 सितंबर से आगे बढ़ाकर 8 अक्टूबर कर दी गई है।
कोलकाता में भी 10 जून की बजाए 11 जून को मॉनसून आएगा। वापसी 14 अक्टूबर से घटाकर 12 अक्टूबर कर दी गई है। चेन्नई में भी बदलाव हुआ है। पहले केरल के साथ चेन्नई में भी 1 जून को ही मॉनसून का आगमन माना जाता था। अब यहाँ सामान्य तिथि 1 जून से बढ़ाकर 4 जून कर दी गई है।
Image credit: TTI-Trends
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