वर्ष 2018 में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून वर्षा पूर्वानुमान का संक्षिप्त विवरण
(क) दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सीज़न में दीर्घावधि औसत (LPA) के मुक़ाबले 97प्रतिशत वर्षा होने की संभावना है। ± 5% की त्रुटि का अंतर।
(ख) पूर्वानुमान से यह पता चलता है कि इस मॉनसून ऋतु में सामान्य वर्षा (LPA की 96-104 प्रतिशत) की अधिकतम संभावना है। न्यून वर्षा की संभावना कम है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग दूसरे चरण का पूर्वानुमान जून 2018 के आरंभ में जारी करेगा। जिसमें जून-जुलाई-अगस्त-सितंबर का मासिक पूर्वानुमान और भारत के चार भौगोलिक क्षेत्रों के लिए भी पूर्वानुमान होगा।
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दक्षिण-पश्चिम मॉनसून पूर्वानुमान की पृष्ठभूमि
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) समूचे देश के लिए दक्षिण-पश्चिम मॉनसून का पूर्वानुमान दो चरणों में जारी करता है। पहला अनुमान अप्रैल में और दूसरा पूर्वानुमान जून में जारी किया जाता है। यह पूर्वानुमान नवीनतम सांख्यिकीय एनसेम्बल पूर्वानुमान प्रणाली (SEFS) का उपयोग करते हुए तैयार किए जाते हैं, जिनकी विभाग में बारीकी से समीक्षा की जाती है और उनमें सुधार किया जाता है। 2012 से भारत मौसम विज्ञान विभाग पूर्वानुमान तैयार करने के लिए गतिकीय भूमंडलीय जलवायु पूर्वानुमान प्रणाली (CFS) मॉडल का उपयोग कर रहा है। इस मॉडल को मॉनसून मिशन के अंतर्गत विकसित किया गया है। इस कार्य के लिए भारत मौसम विज्ञान विभाग के पुणे स्थित जलवायु अनुसंधान और सेवाएं कार्यालय में जनवरी 2017 में नवीनतम उच्च विभेदन (लगभग 38 किमी के क्षैतिजीय विभेदन) मॉनसून मिशन CFS (MMCFS) कार्यान्वित किया गया है ।
अप्रैल के पूर्वानुमान के लिए भारत मौसम विज्ञान विभाग का SEFS मॉडल नीचे दिए गए 5 पूर्वसूचकों का उपयोग करता है, जिसके लिए मार्च तक के आंकडों की आवश्यकता होती है।
समूचे देश में वर्ष 2018 की दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ऋतु में होने वाली वर्षा के पूर्वानुमान की विभिन्न पद्धतियाँ
1- मॉनसून मिशन युग्मित जलवायु पूर्वानुमान प्रणाली (MMCFS) के आधार पर पूर्वानुमान
2018 की दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ऋतु के दौरान होने वाली वर्षा का पूर्वानुमान तैयार करने के लिए अप्रैल 2018 की वायुमंडलीय और महासागर की आरंभिक स्थितियों का उपयोग किया गया है। पूर्वानुमान का आकलन एनसेंबल सदस्य मॉडल पूर्वानुमान के औसत के रूप में किया गया है।
MMCFS के आधार पर तैयार किए गए पूर्वानुमान से यह पता चलता है कि वर्ष 2018 के दौरान समूचे देश में होने वाली मॉनसून ऋतु (जून से सितम्बर) की वर्षा दीर्घावधि औसत (LPA) के 99 ± 5 प्रतिशत होने की संभावना है।
2- प्रचालनात्मक सांख्यिकीय एनसेम्बल पूर्वानुमान प्रणाली (SEFS) पर आधारित पूर्वानुमान
मात्रात्मक रूप से, मॉनसून ऋतु की वर्षा ± 5 प्रतिशत की मॉडल त्रुटि के साथ दीर्घावधि औसत (LPA) के 97 प्रतिशत होने की संभावना है। समूचे देश में ऋतुनिष्ठ (जून से सितंबर) वर्षा के लिए 5 श्रेणी का संभावित पूर्वानुमान नीचे दिया गया है।
पूर्वानुमान से यह पता चलता है कि ऋतु के दौरान सामान्य वर्षा की अधिकतम संभावना है और न्यून वर्षा की कम संभावना है।
3- भूमध्य रेखीय महासागर और हिन्द महासागर में समुद्र सतह तापमान (SST) की स्थितियाँ
पिछले वर्ष के दौरान भूमध्य रेखीय प्रशांत महासागर में जो सामान्य ला-नीना की स्थितियाँ निर्मित हुई थीं वह इस वर्ष के आरंभ में कमजोर होने लगीं और वर्तमान में यह कमजोर ला-नीना की स्थितियों में परिवर्तित हो गई हैं। MMCFS तथा अन्य ग्लोबल मॉडल से दिए गए हाल के पूर्वानुमान बताते हैं कि मॉनसनू ऋत के आरंभ के पूर्व प्रशांत महासागर के ऊपर की स्थितियाँ न्युट्रल एनसो (ENSO) की स्थितियों में बदल जाएंगी।
वर्तमान में हिन्द महासागर में न्यूट्रल हिन्द महासागर द्विध्रुव (IOD) की स्थितियाँ बनी हुई हैं। MMCFS तथा ग्लोबल मॉडल से दिए गए पूर्वानुमान बताते हैं कि मॉनसून ऋतु के मध्य में कमजोर ऋणात्मक IOD की स्थितियाँ विकसित हो सकती हैं।
प्रशांत महासागर और हिन्द महासागर में समुद्र सतह का तापमान अधिक होने से, विशेष रूप से प्रशांत महासागर में एनसो (ENSO) की स्थितियाँ (अल-नीनो या ला-नीना) भारतीय ग्रीष्म मॉनसून को प्रबल रूप से प्रभावित कर सकती हैं। अतः भारत मौसम विज्ञान विभाग प्रशांत महासागर और हिन्द महासागर में समुद्र सतह की स्थितियों की सावधानी से निगरानी कर रहा है।
Image credit: TheNortheastToday
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