दिल्ली में अक्तूबर से ही घने प्रदूषण की चादर तन जाती है। शीत ऋतु में सर्दी से ज़्यादा चिंता प्रदूषण की होती है। नवंबर, दिसम्बर में हालात और भी बिगड़ते हैं और सबसे अधिक प्रभावित होते हैं बच्चे, वृद्ध और सांस की समस्या का सामना कर रहे लोग। दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति मापने के लिए अलग-अलग स्थानों पर निगरानी केंद्र बनाए गए हैं। इन केन्द्रों से प्राप्त होने वाले आंकड़े पिछले 2-3 वर्षों से दिल्ली में बेतहाशा बढ़ रहे प्रदूषण की ओर संकेत करते हैं।
सर्दियों में दिल्ली की हवाओं में क्यों बढ़ जाते हैं जानलेवा प्रदूषण कण? यह सवाल हर किसी के मन में उठ सकता है। इसके अलावा यह प्रश्न भी बनता है कि दिल्ली के अलावा अन्य महानगरों में हालात इतने बदतर क्यूँ नहीं होते। प्रदूषण के स्तर में कमी लाने के लिए सरकारों सहित अन्य संबद्ध एजेंसियां सर्दी शुरू होने के बाद ही क्यूँ सक्रियता दिखाती हैं? यह भी एक बड़ा सवाल है।
दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने के कारण:
गौरतलब है कि अक्तूबर से वातावरण में नमी बढ़ जाती है, जो हवा में मौजूद प्रदूषण के कणों को ऊपर नहीं जाने देती है। यही वजह है कि सर्दियों में जब भी दक्षिण-पूर्वी हवाएँ तेज़ होती हैं तब प्रदूषण का ग्राफ तेज़ी से ऊपर चला जाता है और साँस लेना मुश्किल हो जाता है। दक्षिण-पूर्वी हवाएँ बंगाल की खाड़ी से आती हैं, इनमें नमी अधिक होती है।
इसके अलावा दिल्ली-एनसीआर से सटे राज्यों पंजाब और हरियाणा में फसलों का अवशेष जलाया जाना भी दिल्ली में दम घोंटने के प्रमुख कारणों में से एक है। उल्लेखनीय है कि हरियाणा और पंजाब में धान की फसल की कटाई और मड़ाई के बाद खेतों में बचे उसके अवशेषों यानि पिराली को किसान जलाकर निपटाते हैं। इससे उठने वाला धुआँ उत्तर-पश्चिमी हवाओं के साथ दिल्ली पहुंचता है जिससे प्रदूषण की स्थिति और ख़तरनाक हो जाती है।
दिल्ली और एनसीआर में वाहनों की संख्या क्षमता से अधिक है। साथ ही दिल्ली और आसपास के उद्योगों के चलते भी राष्ट्रीय राजधानी में हवा की गुणवत्ता खराब होती है। सर्दियों के मध्य में दिल्ली में वायु प्रदूषण का आलम यह होता है कि दुनिया भर में न्यूज़ हेडलाइंस बनती है।
[yuzo_related]
प्रदूषण को कम करने के लिए हाल ही में सूप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी है। इससे उम्मीद है कि इस वर्ष दिल्ली-एनसीआर में दिवाली पर वातावरण अपेक्षाकृत स्वच्छ रहेगा। आम लोगों में जागरूकता फैलाने सहित अन्य उपाय करने की भी आवश्यकता है।
Image credit: Zee News
कृपया ध्यान दें: स्काइमेट की वेबसाइट पर उपलब्ध किसी भी सूचना या लेख को प्रसारित या प्रकाशित करने पर साभार: skymetweather.com अवश्य लिखें।