दिल्ली में बुधवार, 23 दिसम्बर को सबसे अधिक प्रदूषण रिकॉर्ड किया गया। दिल्ली में बीते लंबे समय से प्रदूषण के स्तर में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी से राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के भागों में स्वस्थ्य संबंधी गंभीर समस्या उत्पन्न होती जा रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि तापमान में आने वाली अचानक गिरावट के बाद ठंड से बचने के लिए लोग लकड़ी या घास-फूस जलाते हैं। इस समय बड़े पैमाने पर लोग खुले में जैव ईंधन जला रहे हैं, इससे निकलने वाला धुआँ भी हवा में घुलकर प्रदूषण के स्तर को बढ़ा रहा है और स्थिति को और भयावह बना रहा है।
दिवाली के समय भी हालत कुछ इसी तरह बन जाते हैं। व्यापक रूप में आतिशबाज़ी से हवा की गुणवत्ता बेहद ख़राब स्तर पर पहुँच जाती है। हालांकि दिल्ली और आसपास के भागों में दिसम्बर की शुरुआत से हवा में बदलाव के चलते स्थिति में काफी सुधार देखने को मिला था और हवा अपेक्षाकृत बेहतर हो गई थी। लेकिन बुधवार को प्रदूषण फैलाने वाले कण यानि पार्टिकुलेट मैटर के स्तर में बेतहासा वृद्धि हुई जिससे यह दिन साल के सबसे प्रदूषित दिनों के रूप में दर्ज किया गया।
PM 2.5 का स्तर 60 तक सुरक्षित माना जाता है जबकि 23 दिसम्बर को दिल्ली का औसत PM 2.5 बढ़ते हुए 295 के खतरनाक स्तर पर जा पहुंचा। इसके अलावा हवा में प्रदूषण को मापने का दूसरा पैमाना PM 10 भी 470 के स्तर पर पहुँच गया जिसकी सुरक्षित सीमा 100 मानी जाती है। यह आंकड़े वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान अनुसंधान प्रणाली (SAFAR) द्वारा जारी किए गए हैं।
दिल्ली में राहत शिविरों की संख्या में इजाफा हुआ है लेकिन यह भी सच है कि राष्ट्रीय राजधानी में अभी भी जनसंख्या का बड़ा हिस्सा हाड़ काँपने वाली सर्दी में भी खुले में रहने को मजबूर है। खुले में रहने वाले लोगों के अलावा सुरक्षा गार्ड्स, मजदूर और अन्य लोग भी जैव ईंधन जलाकर उसकी आग के सहारे इस कड़ाके की ठंड से अपने आपको बचाते हैं। इसके अलावा भी कई मानवीय गतिविधियां समूचे शहर में प्रदूषण को और बढ़ाने में अपना योगदान देती हैं।
दिल्ली सरकार प्रदूषण को कम करने के लिए कुछ चुनौती भरे उपाय कर रही है। सरकार को उन गतिविधियों पर भी लगाम लगानी होगी जो खुलेआम जारी हैं और जिनके चलते प्रदूषण के स्तर में बेतहासा वृद्धि हो रही है। हवा की लगातार खराब हो रही गुणवत्ता के मद्देनजर लोगों को अब लगने लगा है कि स्थितियाँ नियंत्रण से बाहर हों इससे पहले आपातकाल की घोषणा कर देनी चाहिए।
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