उत्तर भारत के पर्वतीय राज्यों में आमतौर पर बारहमासी मौसम होता है। एक छोटा सा अंतराल आता है सितंबर महीने में जब दक्षिण-पश्चिम मॉनसून वापस होने वाला होता है। इस छोटे से ब्रेक के बाद सितंबर के आखिर से फिर से मौसम में सक्रियता शुरू हो जाती है जब पश्चिमी विक्षोभ आने लगते हैं।
पहाड़ों का मौसम समझने के लिए क्षेत्र को ऊंचाई के आधार पर तीन भागों में बांटा गया है। इसमें 5000 फिट की ऊंचाई वाले निचले इलाकों से लेकर 15000 फिट की ऊंचाई पर स्थित मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्र और 25000 फिट पर स्थित ऊपरी क्षेत्र शामिल हैं। तीनों स्तरों पर मौसम में हलचल अलग-अलग होती है।
इस बार सीज़न की पहली बर्फबारी समय से काफी पहले शुरू हुई। सितंबर के मध्य में ही एक पश्चिमी विक्षोभ आया और ज़ोजिला दर्रा तथा लेह जैसे कुछ इलाकों में 15 सितंबर को बर्फबारी देखने को मिली। उसके बाद 23 सितंबर को भी जम्मू कश्मीर के कुछ इलाकों खासकर डोडा सहित चिनाब क्षेत्र में हल्की बर्फबारी देखने को मिली। हालांकि दोनों मौकों पर मौसम में हलचल जम्मू कश्मीर तक ही सीमित रही।
सितंबर में भले ही कुछ भागों में बर्फबारी की झलक मिल गई थी लेकिन अक्टूबर में पहाड़ी राज्यों को मौसम ने कुछ नहीं दिया जिससे अक्टूबर में जम्मू कश्मीर में बारिश या बर्फबारी में 43 फीसदी की कमी रही, हिमाचल प्रदेश में 73 प्रतिशत कम वर्षा और हिमपात देखने को मिला। दूसरी ओर उत्तराखंड, कुछ स्थानों को छोडकर सूखा रहा। यहाँ 94 प्रतिशत कम बारिश और बर्फबारी अक्टूबर में हुई।
पिछले दोनों महीनों की तरह ही नवंबर ने भी पहाड़ी राज्यों में लोगों को चौंकाया। 3 नवंबर को एक सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ पहुंचा जिसने तीनों राज्यों में मौसम को बदल दिया। सबसे ज़्यादा बर्फबारी जम्मू कश्मीर में देखने को मिली। इसके चलते राज्य में बारिश सरप्लस में यानि सामान्य से 73% अधिक के स्तर पर पहुँच गई। हिमाचल में भी सुधार हुआ और बारिश का आंकड़ा सामान्य से 8 प्रतिशत नीचे यानि सामान्य के काफी करीब पहुँच गया। दूसरी ओर उत्तराखंड में अभी भी 64 प्रतिशत की कमी बनी रही।
स्काइमेट वरिष्ठ मौसम विशेषज्ञ एवीएम जीपी शर्मा के मुताबिक बारिश के आंकड़ों में अच्छा सुधार तब होता है जब 5 से 7 और 8 से 10 हज़ार फिट की ऊंचाई वाले इलाकों में बारिश होती है। फिलहाल श्रीनगर, मनाली, शिमला जैसे मध्यम और निचले ऊंचाई वाले इलाकों में भी 3 नवंबर को अच्छी बर्फबारी देखने को मिली जहां आमतौर पर दिसम्बर के आखिर में क्रिसमस के आसपास बर्फबारी का नज़ारा मिलता है।
श्रीनगर में 3 नवंबर की अच्छी बर्फबारी के चलते तापमान शून्य से नीचे -.4 डिग्री सेल्सियस के स्तर पर पहुँच गया था। वर्ष 2009 का बाद इस बार इतनी जल्दी बर्फबारी हुई है। बर्फबारी का दूसरा दौर 12 नवंबर को आया जब मनाली, केलोंग, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री जैसे कई इलाकों में समय से काफी पहले सीज़न की पहली बर्फबारी देखने को मिली।
इस बीच पिछले कुछ दिनों से प्रभावी पश्चिमी विक्षोभ पहाड़ों पर नहीं पहुंचा है जिसके चलते काफी समय से मौसम शुष्क बना हुआ है। अनुमान है कि 22 नवंबर को एक पश्चिमी विक्षोभ आने वाले है लेकिन यह कम प्रभावी होगा जिससे अधिक बारिश या बर्फबारी देने में नाकाम रहेगा। इसके बाद 28 नवंबर से मौसम में व्यापक हलचल की उम्मीद है जब एक प्रभावी पश्चिमी विक्षोभ पहाड़ों के पास आएगा।
नवंबर की विदाई अच्छी बर्फबारी के साथ होगी। उसके बाद पश्चिमी विक्षोभ के आगे निकलने पर पहाड़ों से बर्फीली हवाएँ उत्तर भारत के मैदानी राज्यों तक पहुंचेगी जिससे हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सहित देश के मध्य, पूर्वी और उत्तरी राज्यों में सर्दी का औपचारिक आगमन हो जाएगा।
Image credit: The Indian Express
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