उत्तर भारत के पर्वतीय राज्यों में मौसमी हलचल एक बार फिर से बढ़ गई है। आज से ही घने बादल दिखाई देने लगे हैं। एक नया पश्चिमी विक्षोभ जम्मू-कश्मीर के पास पहुंच चुका है। मौसम विशेषज्ञों का अनुमान है कि आज मध्य रात्रि से यह सिस्टम सक्रिय हो जाएगा और पहाड़ों पर बने घने बादल बरसना शुरू कर देंगे।
पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से ही एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र उत्तर भारत के मैदानी राज्यों में हरियाणा तथा इसे सटे राजस्थान के ऊपर विकसित हुआ है और इससे एक ट्रफ रेखा पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक बनी है। इन सभी सिस्टमों के संयुक्त प्रभाव से जम्मू कश्मीर में अधिकांश जगहों पर मध्यम से भारी बारिश और बर्फबारी होने की संभावना है। हिमाचल प्रदेश में भी कुछ स्थानों पर वर्षा और मध्यम बर्फबारी देखने को मिलेगी। उत्तराखंड में गतिविधियां कम होंगी लेकिन यहाँ भी कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश और हिमपात की संभावना है।
जम्मू कश्मीर में 23 फरवरी की मध्य रात्रि से मौसमी हलचल शुरू होगी जो 24 फरवरी को बढ़ जाएगी। उसके बाद अगले 2 दिन यानी 24 और 25 फरवरी को कश्मीर तथा हिमाचल में कई जगहों पर तेज वर्षा और भारी हिमपात होने की संभावना बन रही है। स्काईमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार इस दौरान कश्मीर तथा हिमाचल के ऊंचे स्थानों पर हिमस्खलन भी हो सकता है। गतिविधियां बंद होने के बाद भी हिमस्खलन की आशंका रहेगी क्योंकि बर्फ पिघलेगी जिससे ऊंचाई पर इकट्ठा बर्फ नीचे खिसकना शुरू होगी।
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ऐसे में अगर आप हिल स्टेशनों पर जाने की तैयारी में हैं या निकल चुके हैं तो बेहद सावधानी बरतने की जरूरत होगी। यही नहीं ऊंचे स्थानों पर भारतीय सेना की चौकियों पर तैनात जवानों को भी बेहद सतर्क रहने की आवश्यकता है। अगले दो-तीन दिनों के दौरान भारी हिमपात की संभावना को देखते हुए सुझाव है कि ऐसे स्थानों पर न जाएं जहां स्थानीय प्रशासन ने जाने से मना किया है या प्रतिबंधित कर रखा है।
स्थानीय प्रशासन को भी इस दौरान सतर्क रहने की जरूरत है। इस दौरान सड़कों पर बर्फ जमा होने से रास्तों के बंद होने का खतरा है इसलिए पर्यटन पर जाने वाले सैलानियों के लिए सुझाव है कि आप पूरी तैयारी से निकले ताकि अगर कहीं फंस जाएं तो आपके पास पर्याप्त संसाधन कुछ समय के लिए होने चाहिए। गरज और वर्षा वाले बादलों की ताज़ा स्थिति जानने के लिए नीचे दिए गए मैप पर क्लिक करें।
मौसम विशेषज्ञ और कृषि विशेषज्ञों की नजर में यह बर्फबारी का झोंका कश्मीर और हिमाचल में फसलों और फलों की खेती के लिए काफी लाभदायक हो सकता है। इससे सेब की खेती को भी लाभ पहुंचने की संभावना है। इसके अलावा दिन प्रतिदिन सिकुड़ती जा रही गंगा और यमुना जैसी नदियों के लिए भी यह बर्फबारी सहायक होगी।
Image credit: AhaTaxi
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