मॉनसून की अक्षीय रेखा इस समय उत्तर भारत के तराई क्षेत्रों में है और अगले कुछ समय तक इसके तराई में ही बने रहने के आसार हैं। इसके चलते बीते समय से उत्तर प्रदेश और बिहार के तराई क्षेत्रों में अच्छी मॉनसून वर्षा हो रही है। नेपाल भी लंबे समय से भारी वर्षा का केंद्र बना हुआ है। मॉनसून ट्रफ के तराई क्षेत्रों में होने के अलावा जम्मू कश्मीर को पार करने वाले पश्चिमी विक्षोभों के प्रभाव से भी नेपाल में अच्छी बारिश देखने को मिल रही है।
नेपाल में भारी बारिश, भारत के कुछ भागों के लिए चिंता का विषय है। उत्तर प्रदेश और बिहार में आने वाले कई नदियों में नेपाल में भारी बारिश के बाद अचानक आने वाले वाला पानी अपने साथ लाता है बाढ़ की विभीषिका। पिछले 24 घंटों के दौरान नेपाल के कई इलाकों में 100 मिलीमीटर से अधिक वर्षा हुई है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश और बिहार में भी कई स्थानों पर अच्छी बारिश दर्ज की गई है।
पिछले 24 घंटों के दौरानपटना में 107 मिमी की भीषण बारिश हुई। नजीबाबाद में 23 मिमी, भागलपुर में 18 मिमी, गया में 15.4 मिमी, छपरा में 10.6 मिमी, मुजफ्फरपुर में 9.8 मिमी, गोरखपुर में 15.9 मिमी और बहराइच में 3.2 मिमी बारिश दर्ज की गई।
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स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार इन भागों में अच्छी बारिश दे रही मॉनसून की अक्षीय रेखा अगले कुछ दिनों तक तराई क्षेत्रों में ही बनी रहेगी जिसके चलते नेपाल के अधिकांश हिस्सों में भारी बारिश होने का अनुमान है। साथ ही उत्तर प्रदेश और बिहार के उत्तरी हिस्सों में अगले 2-3 दिनों तक कई जगहों पर मध्यम जबकि कुछ स्थानों पर भारी वर्षा होने की संभावना है।
इसके चलते अगले 24 से 48 घंटों के दौरान इन दोनों भारतीय राज्यों में कई नदियां उफान पर होंगी जिससे नदियों के आसपास के भागों में बाढ़ का खतरा भी पैदा हो सकता है। उत्तर प्रदेश में शारदा, गोमती और घाघरा जबकि बिहार में बागमती, कोशी और नारायणी नेपाल में होने वाली बारिश के पानी की वाहक बनेंगी जिससे उत्तर प्रदेश और बिहार के तराई वाले इलाकों में बाढ़ जैसे हालत पैदा हो सकते हैं।
जिन भागों के प्रभावित होने का खतरा है उनमें उत्तर प्रदेश में लखीमपुर खीरी, बहराइच, बाराबंकी, बलरामपुर, गोंडा और फैजाबाद शामिल है। इसके अलावा बिहार में मोतीहारी और चंपारण जैसे क्षेत्रों में आने वाले 2-3 दिनों में बाढ़ जैसी स्थिति की आशंका है।
स्काइमेट के प्रमुख मौसम वैज्ञानिक महेश पालावत के अनुसार 7-8 अगस्त से मॉनसून की अक्षीय रेखा दक्षिण में बढ़ेगी। साथ ही इस दौरान झारखंड और छत्तीसगढ़ पर निम्न दबाव का क्षेत्र विकसित होने की प्रबल संभावनाएं हैं जिससे उत्तर प्रदेश और बिहार में आर्द्र हवाओं का प्रवाह कम हो जाएगा और बारिश में व्यापक कमी आएगी।
शुक्र यह है कि दोनों राज्यों में बारिश का दौर बहुत लंबा नहीं चलेगा जिससे बाढ़ से किसी बड़ी तबाही की आशंका नहीं है लेकिन अगले 3-4 दिनों तक नदियों में जल स्तर बढ़ने से कई जगहों पर जल भराव और बाढ़ जैसी स्थितियों की संभावना से इंकार भी नहीं किया जा सकता है।
Image credit: Scoopwhoop
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