पूर्वी भारत के राज्यों में पिछले कई दिनों से बारिश की गतिविधियां जारी हैं। इसमें पश्चिम बंगाल, झारखंड, पूर्वी बिहार और ओड़ीशा में काल बैसाखी का भी असर देखने को मिला है। ओड़ीशा और पश्चिम बंगाल में भीषण वर्षा पिछले दिनों के दौरान रिकॉर्ड की गई है। यह गतिविधियां पूर्वी भारत के कुछ भागों में अगले 2-3 दिनों तक बनी रहेंगी। पारा नीचे रहेगा जिससे गर्मी से राहत बनी रहेगी।
पूर्वी बिहार और इससे सटे झारखंड तथा पश्चिम बंगाल पर पिछले दो दिनों से एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है। इसके अलावा उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल से एक ट्रफ रेखा भी बंगाल की खाड़ी के उत्तरी भागों तक सक्रिय है। इन मौसमी सिस्टमों के चलते पश्चिम बंगाल और ओड़ीशा में अधिकांश स्थानों पर जबकि झारखंड और बिहार में कुछ स्थानों पर गरज के साथ हल्की से मध्यम बारिश रिकॉर्ड की गई है। पश्चिम बंगाल और ओड़ीशा में कुछ स्थानों पर भारी वर्षा भी हुई है।
बारिश की गतिविधियों के चलते बिहार से लेकर झारखंड, ओड़ीशा और पश्चिम बंगाल तक कई क्षेत्रों में तापमान में व्यापक गिरावट आई है। पटना में पारा सामान्य से 6 डिग्री नीचे 30 डिग्री, रांची में 4 डिग्री कम 33.4 डिग्री, कोलकाता में 3 डिग्री कम 32.1 डिग्री और कटक में 1 डिग्री कम 36.2 डिग्री रिकॉर्ड किया गया। दिल्ली में गरज और वर्षा वाले बादलों की ताज़ा स्थिति जानने के लिए नीचे दिए गए मैप पर क्लिक करें।
यहाँ बने मौसमी सिस्टम अभी भी सक्रिय हैं और अगले दो दिनों तक यह प्रभावी बने रहेंगे। जिससे अनुमान है कि गंगीय पश्चिम बंगाल, ओड़ीशा और झारखंड में अगले 2-3 दिनों तक अच्छी बारिश जारी रहेगी। बिहार के पूर्वी और उत्तर-पूर्वी भागों में भी कुछ स्थानों पर हल्की बारिश होने के आसार हैं। शेष बिहार में छिटपुट बारिश देखने को मिल सकती है। इन भागों में बारिश के साथ तेज़ गर्जना, बिजली गिरने की घटनाएँ और तूफानी हवाएँ चलने की भी आशंका है।
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आपको बता दें कि अप्रैल से जून के बीच पूर्वी भारत के राज्यों में कालबैसाखी की घटनाएँ देखने को मिलती हैं। काल बैसाखी उस मौसमी स्थिति को कहा जाता है जब अचानक तेज़ बारिश के साथ बादलों की गर्जना होती है और 80 से 90 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति से हवाएँ चलती हैं। पूर्वी राज्यों में बिहार, झारखंड, ओड़ीशा और पश्चिम बंगाल में यह घटनाएँ कई बार भयानक रूप ले लेती हैं जिससे जान और माल का भी नुकसान होता। कह सकते हैं कि पूर्वी भारत के कई इलाके मॉनसून आने से पहले से ही प्रायः मौसम के रौद्र रूप का शिकार हो जाते हैं।
Image credit: Jagran.com
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