उत्तर भारत के दो प्रमुख कृषि उत्पादक राज्यों पंजाब और हरियाणा में जल्द ही भारी बारिश होने की संभावना है। यह बारिश कुछ इलाकों में फसलों के लिए भरी पड़ सकती है। इससे पहले 1 जनवरी से दोनों राज्यों में रुक-रुक कर वर्षा हो रही है। इस साल उत्तर के पहाड़ों पर जितने भी पश्चिमी विक्षोभ आए, हर बार दोनों राज्यों का मौसम प्रभावित हुआ। हालांकि पंजाब में गतिविधियां ज्यादा हुईं जिसके चलते पंजाब में 1 जनवरी से 4 फरवरी के बीच वर्षा का आंकड़ा सामान्य से 13% ऊपर है। जबकि इस दौरान हरियाणा में बारिश औसत से 21% कम हुई है।
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार एक नया पश्चिमी विक्षोभ जम्मू कश्मीर के पास पहुंचने वाला है। यह सिस्टम 5 फरवरी से उत्तर भारत के पहाड़ों को प्रभावित करेगा। इसी सिस्टम के प्रभाव से उत्तर भारत के मैदानी इलाकों पर एक चक्रवाती क्षेत्र हवाओं में बनेगा। इन दोनों सिस्टमों के कारण पंजाब और हरियाणा में 5 फरवरी की रात से बादल घने हो जाएंगे और शाम से ही हल्की वर्षा शुरू हो जाएगी।
बारिश की गतिविधियां धीरे-धीरे ज़ोर पकड़ेंगी। अनुमान है कि 6 और 7 फरवरी को दोनों राज्यों में कई स्थानों पर भारी बारिश दर्ज की जाएगी। माना जा रहा है कि बारिश के साथ ओलावृष्टि होने, तेज़ रफ्तार की हवाएं चलने और बिजली गिरने की भी संभावना है। स्काईमेट के वरिष्ठ मौसम विशेषज्ञ महेश पलावत के अनुसार इस सर्दी के मौसम की यह सबसे भारी वर्षा हो सकती है।
बारिश के साथ तेज हवा और ओलावृष्टि के कारण दोनों राज्यों में गेहूं और सरसों सहित अनेक रबी फसलों को नुकसान पहुंच सकता है। हालांकि इस नुकसान से बचने के लिए पहले से कोई उपाय नहीं किया जा सकता और नुकसान कितना होगा, इसका आकलन भी लगाना मुश्किल है। माना जा रहा है कि 8 फरवरी से मौसम साफ होने लगेगा क्योंकि पश्चिमी विक्षोभ और चक्रवाती क्षेत्र पूर्वी दिशा में निकल जाएंगे।
Image credit: Daily Mail
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