विगत 24 घंटों के दौरान मध्य प्रदेश के पश्चिमी भागों में भीषण बारिश दर्ज की गई है। उज्जैन में शनिवार की सुबह 8:30 से बीते 24 घंटों में बारिश ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये। महाकाल की इस नगरी में 319 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई। 24 घंटों के दौरान उज्जैन में इतनी भारी मात्रा में बारिश कभी भी नहीं हुई। राजधानी भोपाल और उज्जैन में भी मूसलाधार वर्षा हुई है। भोपाल में 149 तो इंदौर में 129 मिमी वर्षा दर्ज की गई। भोपाल में भी बारिश ने 10 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ा। भोपाल में इससे पहले 22 जुलाई 1973 को रिकॉर्ड 275.7 मिमी वर्षा दर्ज की गई थी, जो अब तक का सबसे अधिक वर्षा का रिकॉर्ड है। उज्जैन में इससे पहले 9 जुलाई 2007 को 192.5 मिमी बारिश देखने को मिली थी।
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मध्य भारत के भागों में हो रही इस बारिश का कारण है मध्य प्रदेश के उत्तर पूर्वी भागों पर बना चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र, जो अब निम्न दबाव का क्षेत्र बन चुका है। इस निम्न दबाव के क्षेत्र से ही होकर मॉनसून की अक्षीय रेखा भी गुज़र रही है, जो इसके प्रभाव को और बढ़ा रही है। अरब सागर की तरफ से भी नम पश्चिमी हवाएँ आ रही हैं जिससे इन भागों के वातावरण में नमी काफी बढ़ गई है।
मध्य प्रदेश के पश्चिमी भागों में बीते 12 जुलाई से मौसम अधिकांश जगहों पर शुष्क चल रहा था और छिटपुट बारिश हो रही थी। किसी मौसमी हलचल के अभाव में मध्य भारत के भागों में बारिश की गतिविधियां कम बनी हुई थीं। आंकड़ों को देखें तो 24 घंटों से पहले पश्चिमी मध्य प्रदेश में औसत की महज़ 12% बारिश ही दर्ज की गई थी। लेकिन बीते 24 घंटों के दौरान हुई इस बारिश और अगले 2-3 दिनों के दौरान होने वाली संभावित बारिश से वर्षा के वास्तविक और औसत आंकड़ों के बीच का अंतर कम हो जाएगा।
स्काइमेट का अनुमान है कि अगले 24 से 48 घंटों के दौरान पश्चिमी मध्य प्रदेश और उससे सटे पूर्वी राजस्थान में मूसलाधार बारिश की गतिविधियां जारी रहेंगी। जिससे बारिश के आंकड़े माइनस से प्लस में आ सकते हैं। अगले दो दिनों के बाद मॉनसून की अक्षीय रेखा उत्तर पूर्व का रूख कर सकती है, जिससे मध्य प्रदेश में बारिश की गतिविधियों में कमी आने की संभावना है।
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