उत्तर भारत की पहाड़ियों पर पिछले कई दिनों से मौसम शुष्क बना हुआ है। हालांकि पहाड़ों पर नवंबर में हुई अच्छी बर्फबारी के चलते पहाड़ों पर तापमान पहले से ही गिर गया है जिससे कड़ाके की ठंडक पहले से ही जारी है। हालांकि पहाड़ों पर कई दिनों से मौसम शुष्क है और अगले दो-तीन दिनों तक इस क्षेत्र में मौसम में किसी भी गतिविधि की उम्मीद नहीं है। लेकिन 10 दिसंबर से बड़ा बदलाव पहाड़ों के मौसम में आने वाला है।
English Version: Snow spell ahead for Shimla, Kullu, Manali, Gulmarg, Pahalgam and Nainital
स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार एक नया और प्रभावी पश्चिमी विक्षोभ 10 दिसम्बर की रात तक उत्तर भारत के पर्वतीय राज्यों खासकर जम्मू कश्मीर के पास पहुँच जाएगा। इसके चलते 10 दिसंबर की रात से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बर्फबारी शुरू हो जाएगी। गतिविधियों में धीरे-धीरे वृद्धि के आसार हैं।
उम्मीद है कि बर्फबारी के साथ बारिश की गतिविधियां 11 दिसम्बर से अधिक क्षेत्रों में बढ़ जाएंगी। इस दौरान जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और लद्दाख क्षेत्र में कई जगहों पर हल्की से मध्यम और कुछ स्थानों पर भारी बारिश और हिमपात की संभावना है। उत्तराखंड में भी कुछ स्थानों पर बारिश और बर्फबारी देखने को मिलेगी।
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पश्चिमी हिमालय के सभी चार राज्यों में 12 दिसंबर व्यापक रूप से बारिश और बर्फबारी होने के आसार हैं। इस दौरान गुलमर्ग, पहलगाम, कुलगाम, श्रीनगर, शिमला, कुल्लू, मनाली, केदारनाथ, बद्रीनाथ और नैनीताल सहित कई जगहों पर अच्छी बर्फबारी की गतिविधियाँ देखने को मिलेंगी। कुछ स्थानों पर भारी से अति भारी बारिश और बर्फबारी हो सकती है। शिमला में सीजन की यह दूसरी बर्फबारी होगी।
पहाड़ों पर बारिश और बर्फबारी की यह गतिविधियां 13 दिसंबर तक जारी रहने की उम्मीद है। 13 दिसंबर को जम्मू-कश्मीर के साथ-साथ लद्दाख में बारिश और हिमपात में कमी आने लगेगी। हालांकि, उत्तराखंड में बारिश जारी रहेगी। 12 और 13 दिसंबर को जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में ओलावृष्टि होने की संभावना है। 14 दिसंबर तक सभी पर्वतीय राज्यों में मौसम फिर से बदलेगा और बारिश में तथा हिमपात में कमी आ जाएगी।
पहाड़ों पर हिमस्खलन और भूस्खलन की भी आशंका
अच्छी बर्फबारी के चलते पहाड़ों पर सामान्य जन-जीवन प्रभावित हो सकता है। 11 से 14 दिसम्बर के बीच कई पहाड़ी रास्ते बंद हो सकते हैं। कुछ हिस्सों में अवलांच, हिमस्खलन और भूस्खलन की घटनाएँ हो सकती हैं। इसलिए पहाड़ों पर जाने वाले सैलानियों को सतर्क रहना होगा। स्थानीय लोगों और सरकारी एजेंसियों को भी एहतियातन तैयारी रखने की ज़रूरत है। 15 दिसम्बर से पहाड़ों पर दिन और रात के तापमान में फिर से भारी गिरावट होगी जिससे हाड़ कंपाने वाली सर्दी अपने चरम पर होगी।
Image credit: The India Express
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