उत्तराखंड को जल्द ही भारी मॉनसून बारिश की आफत देखने को मिल सकती है। इस बीच मॉनसून की अक्षीय रेखा इस समय राजस्थान के श्रीगंगानगर से दिल्ली और उत्तर प्रदेश होते हुए पूर्वी राज्यों की तरफ बनी हुई है। संभावना है कि मॉनसून की यह अक्षीय रेखा धीरे-धीरे हिमलाय के तराई वाले भागों के और करीब जाएगी, जिसके चलते उत्तराखंड सहित हिमालय के तराई क्षेत्रों में बारिश की तीव्रता में व्यापक बढ़ोत्तरी दर्ज की जाएगी।
स्काइमेट के अनुसार उत्तराखंड में 16 से 18 जुलाई के दौरान भीषण बारिश हो सकती है। इस दौरान मूसलाधार वर्षा के चलते राज्य के कुछ भागों में भू-स्खलन और बाढ़ जैसी स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। इस संभावित बारिश का राज्य के आम जन-जीवन पर भी बुरा असर पड़ने की संभावना है। साथ ही राज्य में जारी चार धाम यात्रा और पर्यटन को भी बारिश बाधित कर सकती है।
वर्तमान मौसमी परिदृश्य को देखते हुए स्काइमेट का सुझाव है कि प्रशासन पहले से एहतियाती कदम उठाए ताकि किसी अनहोनी को टाला जा सके साथ ही राज्य में पर्यटन और तीर्थयात्रा को रोकने के लिए सख्त हिदायत जारी की जाए। अगले एक हफ्ते तक राज्य में स्थितियाँ चुनौतीपूर्ण हो सकती हैं। एक हफ्ते के पश्चात मौसम के फिर से साफ होने और नदियों के जल स्तर में कमी आने की संभावना है।
उत्तराखंड सहित उत्तर भारत में मॉनसून एक बार फिर से सक्रिय हो चुका है और आने वाले कुछ दिनों तक मॉनसून का व्यापक प्रदर्शन इन भागों में देखने को मिलेगा। इन भागों में अधिकांश स्थानों पर बीते कुछ दिनों से मध्यम से भारी बारिश रिकॉर्ड की गई है। बृहस्पतिवार को पिथौरागढ़ में 56 मिलीमीटर जबकि जोशीमठ में 18 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई।
बीते 24 घंटों के दौरान उत्तराखंड के विभिन्न भागों में हुई वर्षा के आंकड़े इस प्रकार हैं:
उत्तराखंड में रुक-रुक कर हुई मध्यम वर्षा के चलते बारिश आंकड़े सामान्य से ऊपर पहुँच चुके हैं। बीते 48 घंटों के दौरान बारिश में व्यापक बढ़ोत्तरी देखने को मिली है।
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