दिल्ली में 21 जुलाई को कई स्थानों पर अच्छी बारिश रिकॉर्ड की गई। मॉनसून की रेखा इस समय दिल्ली के दक्षिण में बनी हुई है जिसके कारण पूर्वी हवाएं दिल्ली और एनसीआर के भागों पर लगातार पहुंच रही है। यही वजह है कि दिल्ली में सुबह से ही बादलों का आना जाना लगा हुआ था और दोपहर में 1:00 बजे के बाद दिल्ली में अधिकांश स्थानों पर मूसलाधार वर्षा रिकॉर्ड की गई।
स्काइमेट मौसम विशेषज्ञों के अनुसार दिल्ली और एनसीआर के ऊपर आ रही हवाओं में अधिक नमी होने के कारण दोपहर में ही भीषण गर्जन वाले बादल बनने शुरू हो गए थे जिसके कारण दिल्ली में अधिकांश स्थानों पर बारिश हुई। इसमें पालम, धौला कुआं, कनॉट प्लेस, आईटीओ, आईएसबीटी, सिविल लाइंस, आजादपुर, यमुना विहार, भजनपुरा सहित अधिकांश स्थानों पर भारी वर्षा रिकॉर्ड की गई। दिल्ली में 21 जुलाई को दिन में 50 मिलीमीटर से अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई।
मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि मॉनसून की अक्षीय रेखा अब राजस्थान से मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश तथा बिहार होते हुए पूर्वोत्तर भारत तक बनी हुई है, जिसके कारण उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में मॉनसून कमजोर हो जाएगा। अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर के शहरों में बारिश की गतिविधियां देखने को नहीं मिलेगी, मौसम ज्यादातर समय शुष्क हो जाएगा। हालांकि रुक-रुक कर छिटपुट बारिश से इंकार नहीं किया जा सकता।
उसके बाद उम्मीद है कि 24 जुलाई से फिर से हवाओं में नमी बढ़ जाएगी जिसके कारण बारिश फिर से ज़ोर पकड़ेगी। दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद, फरीदाबाद में 24 जुलाई से बारिश की गतिविधियां एक बार फिर से तेज़ होंगी और उम्मीद है कि 25 जुलाई को दिल्ली और आसपास के शहरों में अच्छी बारिश दर्ज की जाएगी। बारिश का क्रम जुलाई के आखिर तक जारी रहने की संभावना है।
अब तक राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सामान्य से लगभग 70% कम वर्षा हुई है, लेकिन आने वाले दिनों में जिस तरह से बारिश की उम्मीद दिखाई दे रही है उससे लगता है कि राजधानी में बारिश में कमी का आंकड़ा जुलाई के अंत से पहले की अपेक्षा काफी सुधरेगा और बारिश में कमी के आंकड़ों में व्यापक बदलाव देखने को मिलेगा।
गौरतलब है कि दिल्ली और शहरों में मॉनसून जून के आखिर तक आता है और जुलाई तथा अगस्त में सबसे ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की जाती है, पूरे साल में यही 2 महीने हैं जब दिल्ली और एनसीआर के शहरों में सबसे अधिक बारिश होती है। मॉनसून सीजन में भी इन्हीं 2 महीनों में बारिश ज्यादा होती है क्योंकि जून जहां मॉनसून का देश में शुरुआती महीना है वहीं सितंबर में मानसून की वापसी का क्रम शुरू हो जाता है।
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