पूर्वी भारत के लिए मॉनसून की मेहरबानी अगस्त में कुछ ज़्यादा ही रही। इस महीने में बंगाल की खाड़ी में एक के बाद एक कई मौसमी सिस्टम विकसित हुए हैं। इन सिस्टमों के प्रभाव से पूर्वी भारत के कई भागों में भारी से अति भारी वर्षा की गतिविधियां कई बार देखने को मिली हैं।
यह मॉनसूनी सिस्टम आमतौर पर देश के पूर्वी राज्यों पर लगभग 2 या 3 दिन बने रहे हैं जिससे इन भागों में मौसम में यह तब्दीली आई है। इस दौरान कई इलाकों में रुक-रुक कर हो रही भारी बारिश से जलभराव की समस्या का सामना भी करना पड़ रहा है। इससे पहले पूर्वी भारत पर आया सिस्टम गहरे निम्न दबाव के रूप में मौसम को प्रभावित कर रहा था। इस सिस्टम ने कई इलाकों में भारी बारिश दर्ज की गई।
अब से लगभग 48 घंटों के पूर्व बंगाल की खाड़ी में एक नया मॉनसूनी सिस्टम चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र के रूप में विकसित हुआ। यह सिस्टम धीरे-धीरे प्रभावी होते हुए आगे बढ़ा है और इस समय बंग्लादेश तथा उससे सटे पश्चिम बंगाल पर एक निम्न दबाव के क्षेत्र के रूप में दिखाई दे रहा है।
निम्न दबाव के प्रभाव से पश्चिम बंगाल के कई इलाकों में पहले से ही बारिश की गतिविधियां शुरू हो चुकी हैं। बीते 24 घंटों के दौरान पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में लगभग 60 मिलीमीटर वर्षा रिकॉर्ड की गई है।
स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार यह सिस्टम धीरे-धीरे और प्रभावी होगा तथा पश्चिमी दिशा में आगे बढ़ेगा। इस बदलाव से अनुमान है कि पूर्वी भारत के बाकी राज्यों में भी जल्द ही यह भारी मॉनसूनी बारिश देगा। पश्चिम बंगाल के अलावा ओड़ीशा और झारखंड में भी अच्छी वर्षा होने का अनुमान है।
शुरुआत में ओड़ीशा और गंगीय पश्चिम बंगाल के तटीय भागों में मॉनसूनी बारिश की तीव्रता सबसे अधिक होगी। जैसे-जैसे यह सिस्टम पश्चिमी दिशा में आगे बढ़ेगा इन दोनों राज्यों में बारिश में कमी आएगी जबकि झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और पूर्वी मध्य प्रदेश में बारिश की तीव्रता में बढ़ोत्तरी देखने को मिलेगी।
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