पूर्वी भारत के राज्य पिछले कई दिनों से असहनीय और असमय गर्मी का सामना कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों और ओड़ीशा में भीषण लू जैसे हालत बने हुए हैं। अभी अप्रैल माह का पहला पखवाड़ा भी नहीं बीता है और पारा 45 डिग्री सेल्सियस के स्तर को भी पार कर गया है। वर्तमान मौसमी परिदृश्य को देखते हुए लगता है कि वर्ष 2016 के सबसे गर्म होने की भविष्यवाणी सही होने वाली है।
बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओड़ीशा, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में उत्तर-पश्चिम दिशा से गर्म हवाओं का प्रवाह बना हुआ है। लू जैसे हालत ने सामान्य जन जीवन को प्रभावित किया है। इस बीच अच्छी खबर यह है कि इन भागों में भीषण गर्मी से 17 अप्रैल के आसपास कुछ राहत मिल सकती है क्योंकि झारखंड और उससे सटे बिहार के ऊपर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र विकसित हो सकता है। इस सिस्टम के प्रभाव से पूर्वी राज्यों में कुछ बारिश हो सकती है जो निश्चित तौर पर गर्म और शुष्क मौसम से राहत लेकर आएगी।
दक्षिण में लू के चलते तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में पहले ही दर्जनों लोगों की मौत हो चुकी है। ओड़ीशा में भुवनेश्वर में 11 अप्रैल को तापमान बेलगाम ऊपर जाता रहा और यह 45.8 डिग्री सेल्सियस के उच्चतम स्तर पर रिकॉर्ड किया गया।
भारत के विभिन्न भागों में 12 अप्रैल को दर्ज किए गए तापमान का विवरण नीचे दिया गया है:
इस वर्ष गर्मी का आगमन समय से काफी पहले हुआ है, और यह अपने रौद्र रूप में नज़र आ रही है। आमतौर पर गर्मी का यह रूप मई के शुरुआत में देखने को मिलता है। लेकिन इस बार समय से पहले तेज़ गर्मी को देखते हुए माना जा रहा है कि जलवायु में भी बदलाव हो रहा है और यह उसी का परिणाम है। सामान्य से अधिक तापमान के कारण देश के कई हिस्सों में पानी की समस्या भी विकराल होती जा रही है। विशेषकर उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र, मध्य प्रदेश के कई इलाकों और महाराष्ट्र के विदर्भ, मराठवाडा तथा मध्य महाराष्ट्र क्षेत्र में अधिक गर्मी के कारण जल संकट बढ़ गया है।
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