भारत के कई इलाके इस समय लू की चपेट में हैं। इससे पहले मार्च की शुरुआत में प्रायद्वीपीय भारत में बेतहाशा गर्मी शुरू हुई थी। धीरे-धीरे गर्मी का प्रकोप मध्य और उत्तर-पश्चिमी भागों में बढ़ गया था। उसके बाद लू का प्रसार पूर्वी भारत के राज्यों तक बढ़ा और इसने पश्चिम बंगाल, ओड़ीशा, झारखंड तथा बिहार को भी अपनी चपेट में ले लिया। पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी कुछ स्थानों पर लू चलने लगी।
इन भागों में गर्म हवाओं और शुष्क मौसम के चलते कुछ जगहों पर अधिकतम तापमान रिकॉर्ड 45 डिग्री को भी पार कर गया। भुवनेश्वर में पारा 45.8 डिग्री तक दर्ज किया जा चुका है। यह भुवनेश्वर के लिए एक रिकॉर्ड है। हालांकि इस समय पूर्वी भारत के राज्यों में तापमान में कुछ नरमी आई है लेकिन दूसरी ओर मराठवाडा, विदर्भ, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के कुछ भाग फिर से लू की चपेट में आ गए हैं।
इस समय कई जगहों पर अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के ऊपर दर्ज किया जा रहा है। ओड़ीशा के तितलागढ़ में दिन का तापमान 45 डिग्री दर्ज किया गया वहीं तेलंगाना के नलगोंडा में यह 44 डिग्री तक पहुँच गया। हैदराबाद में अधिकतम तापमान रहा 43 डिग्री सेल्सियस जो बीते 43 वर्षों में उच्चतम है।
पूर्वी और मध्य भारत के मुक़ाबले अब तक राहत की सांस ले रहे उत्तर-पश्चिम भारत में भी पारा बेलगाम हो रहा है और अनुमान है कि जल्द ही उत्तर-पश्चिम भारत के कई हिस्से भीषण लू की चपेट में होंगे। राजस्थान और गुजरात के कुछ भागों में पहले से ही तापमान 40 डिग्री के स्तर को पार कर गया है। उत्तर प्रदेश के भी कई भागों में तापमान में क्रमशः बढ़ोत्तरी दर्ज किए जाने की संभावना है।
बारिश के संदर्भ में देखें तो पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों और दक्षिणी राज्यों में एक-दो स्थानों को छोडकर शेष भागों में जल्द बारिश की कोई संभावना नहीं है। हालांकि उत्तर भारत के पास एक कमजोर पश्चिमी विक्षोभ पहुँचने वाला है जो 16 अप्रैल से उत्तर के पर्वतीय क्षेत्रों में एक-दो स्थानों पर बारिश दे सकता है लेकिन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित उत्तर-पश्चिम भारत के भागों में इसका कोई भी असर देखने को नहीं मिलेगा और ना ही यह उत्तर भारत के मैदानी भागों में मौसम को किसी तरह से प्रभावित करेगा।
Image credit: Ibtimes.co.uk