उत्तर भारत के मैदानी राज्यों में लंबे समय से भीषण गर्मी पड़ है। लगभग एक सप्ताह से अधिक समय से बारिश जैसी मौसमी हलचल ना होने के कई इलाके लू की चपेट में बने हुए थे। साथ ही पश्चिम से आ रही गर्म और शुष्क हवाओं के कारण भी मैदानी राज्यों में तापमान सामान्य से काफी ऊपर चल रहे थे और लोगों को भीषण गर्मी से मुक़ाबला करना पड़ रहा था।
इस बीच मैदानी भागों में हवा का रुख बदल गया है। अब पश्चिमी शुष्क और गर्म हवाओं की जगह आर्द्र पूर्वी हवाएँ चलना शुरू हो गई हैं। जिससे मैदानी भागों में हवा में नमी बढ़ गई है। इसके चलते हरियाणा, दिल्ली, उत्तरी राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में धूप का असर कम होगा और दिन के तापमान में कुछ कमी आएगी। हालांकि इस कमी से तकनीकी रूप से कहा जा सकता है कि लू आने वाले कुछ दिनों के दौरान समाप्त हो जाएगी लेकिन उमस अधिक होने से लोगों की परेशानी कम नहीं होगी।
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स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार अगले कुछ दिनों के दौरान मैदानी भागों में बादल छाएंगे और पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दिल्ली-एनसीआर, उत्तरी राजस्थान और उत्तर प्रदेश में कल से छिटपुट जगहों पर प्री-मॉनसून हलचल देखने को मिल सकती है। इन भागों में 30 मई से हलचल कुछ बढ़ेंगी और कुछ स्थानों पर धूलभरी आँधी तथा गर्जना के साथ हल्की वर्षा हो सकती है। इन भागों में प्री-मॉनसून हलचलों के कारण तापमान में कुछ गिरावट दर्ज की जाएगी।
देश में मॉनसून का आगमन जल्द होने वाला है। ऐसे में लगभग अगले 15 दिनों तक कुछ इलाकों में लू का प्रकोप रहेगा तो कुछ भागों में प्री-मॉनसून हलचल बढ़ जाएगी। मॉनसून इस समय श्रीलंका को पर कर चुका है। अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह भी पहुँच गया है। हल्द ही यह भारत के मुख्य भू-भाग पर दस्तक देगा। ऐसे में लोग मैदानी राज्यों में भी मॉनसून की प्रतीक्षा में हैं। फिलहाल अभी यह प्रतीक्षा लंबी है। गरज और वर्षा वाले बादलों की ताज़ा स्थिति जानने के लिए नीचे दिए गए मैप पर क्लिक करें।
लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद, आगरा, मथुरा, अलीगढ़, मेरठ, बुलंदशहर, पलवल, फ़रीदाबाद, गुरुग्राम, दिल्ली, नोएडा, गाज़ियाबाद, करनाल, कुरुक्षेत्र, अलवर, जींद, नारनौल सहित आसपास के भागों में 29 मई से जून के शुरुआती दिनों में प्री-मॉनसून वर्षा देखने को मिल सकती है। इस दौरान पंजाब के अधिकतर हिस्सों में मौसम शुष्क रहेगा। हालांकि आंशिक बादल छाए रह सकते हैं जिससे तापमान में हल्की कमी दर्ज की जा सकती है।
Image credit: IBTimes
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