मध्य प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में मौसम का मिजाज भी अलग अलग है। राज्य के पूर्वी भागों में जहां रुक-रुक कर पिछले कुछ दिनों से हल्की प्री-मानसून वर्षा हो रही है, वहीं पश्चिमी हिस्सों में पारा काफी ऊपर है और लू का प्रकोप जारी है। पूर्वी जिलों में बारिश होने से गर्मी से राहत मिल रही है। बीते 24 घंटों के दौरान सागर, मंडला, जबलपुर और उमरिया में हल्की बारिश दर्ज की गई। सागर में 8 मिलीमीटर वर्षा रिकॉर्ड की गई जबकि मांडला में 4.3 मिलीमीटर की बारिश हुई है। इन गतिविधियों से तापमान पर कुछ लगाम लगी है और प्रचंड गर्मी से समय-समय पर राहत मिल रही है।
पश्चिमी जिलों में इंदौर, गुना, ग्वालियर, भोपाल, उज्जैन, रतलाम जैसे शहरों में लोगों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि इन भागों में लंबे समय से बारिश की झलक भी नहीं मिली है। पूर्वी मध्य प्रदेश पर हो रही वर्षा के कारणों पर नजर डालें तो उत्तर प्रदेश के मध्य भागों से मध्य प्रदेश होते हुए रायलसीमा तक एक ट्रफ रेखा बनी हुई है, जिससे इन भागों में आर्द्र हवाएं पहुंच रही है और मौसम में हलचल देखने को मिल रही है।गरज और वर्षा वाले बादलों की ताज़ा स्थिति जानने के लिए नीचे दिए गए मैप पर क्लिक करें।
स्काईमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार अगले कुछ समय तक ट्रफ सक्रिय रहेगी जिससे मध्य प्रदेश के पूर्वी जिलों में कुछ स्थानों पर गरज के साथ हल्की वर्षा जारी रहने की संभावना है। दूसरी ओर पश्चिमी मध्य प्रदेश में आने वाले दिनों में भी जल्द राहत के संकेत नहीं हैं। मौसम शुष्क और गर्म बना रहेगा। इस बीच दक्षिण भारत में पहुंचने के बाद मॉनसून तेजी से आगे बढ़ रहा है और संभावना है कि 10 से 12 जून के बीच मध्य प्रदेश में मॉनसून का प्रवेश हो जाएगा। उससे पहले दक्षिण-पूर्वी जिलों में प्री-मॉनसून गतिविधियां बनी रह सकती हैं।
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पूर्वी मध्य प्रदेश और पश्चिमी मध्य प्रदेश के बीच में मानसून के पहुंचने में आमतौर पर 5 से 6 दिन का अंतर रहता है। संभावना है कि राज्य के पूर्वी भागों में 10 जून को दक्षिण पश्चिम मॉनसून का आगमन हो जाएगा। लेकिन पश्चिमी भागों तक पहुंचने में इसे 10 जून के बाद 6 से 7 दिन का और समय लग सकता है। तो पूर्वी राज्यों में जहां पहले से ही कुछ राहत है वहां जल्द ही मॉनसून बड़ी राहत लेकर आ सकता है। दूसरी ओर पश्चिमी मध्य प्रदेश में लोगों को अभी गर्मी और तड़पाएगी।
Image credit: DailyBhasker
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