देश में इस साल अप्रैल पिछले एक दशक में दूसरी बार इतना ठंडा बीता है। देश के कई राज्यों में अप्रैल में तापमान औसत से भी ऊपर नहीं पहुंचा है।
उत्तर भारत के भागों में तापमान न बढ़ने का श्रेय पहाड़ों पर आने वाले पश्चिमी विक्षोभ और पंजाब, हरियाणा या राजस्थान पर विकसित होने वाले चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र को दिया जा सकता है। मार्च से लेकर अप्रैल तक एक के बाद एक आने वाले इन पश्चिमी विक्षोभों के चलते इस साल प्री मॉनसून सीजन में सामान्य से काफी अधिक वर्षा हुई है।
अप्रैल में उत्तर भारत में नहीं चली लू
रुक-रुक कर होती रही बारिश के चलते ही तापमान में अपेक्षित बढ़ोत्तरी नहीं हुई और ज्यादातर हिस्सों में यह सामान्य से नीचे चलता रहा। यहां तक कि अप्रैल में उत्तर भारत के किसी भी क्षेत्र में लू का प्रकोप देखने को नहीं मिला, चाहे वह दक्षिणी हरियाणा हो, राजस्थान हो, पंजाब, दिल्ली-एनसीआर हो या पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिले।
आमतौर पर अप्रैल के आखिर तक आते-आते एक दो बार मैदानी इलाकों में लू की झलक दिख जाती है।
पूर्वी भारत में अप्रैल में हुई सामान्य से अधिक वर्षा
पूर्वी भारत के राज्यों में भी अप्रैल में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है। पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में अप्रैल के तीसरे सप्ताह से बारिश बढ़ी जो अब तक जारी है। इस बारिश का कारण बंगाल की खाड़ी से आने वाली आर्द्र हवाओं को माना जा सकता है, जो पूर्वी क्षेत्रों पर बने चक्रवाती सिस्टम के कारण लगातार पूर्वी भागों में बनी हुई है।
हालांकि अब उत्तर पश्चिम भारत के भागों में बारिश की गतिविधियां कुछ कम हो गई हैं। अब अगले दो-तीन दिनों के दौरान तापमान में बढ़ोत्तरी होगी। लेकिन 30 अप्रैल को एक अन्य पश्चिमी विक्षोभ भारत में आएगा जिसके चलते 30 अप्रैल को उत्तर-पश्चिम भारत में वर्षा हो सकती है। उसके बाद 1 से 3 मई के बीच उत्तर भारत में मौसम साफ और शुष्क रहेगा जिससे तापमान में व्यापक वृद्धि हो सकती है।
3 मई से देश भर में बढ़ेगी बारिश
एक नया और काफी सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ 3 मई को उत्तर भारत में आने वाला है, जिसके चलते 3 से 6 मई के बीच उत्तर भारत में पहाड़ों से लेकर मैदानी इलाकों में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में व्यापक बारिश देखने को मिल सकती है। इन गतिविधियों के चलते दिल्ली समेत उत्तर भारत में बढ़ रहे तापमान पुनः नीचे आ जाएंगे।
इसी तरह पूर्वी भारत के राज्य में कुछ स्थानों पर मध्यम बारिश 1 मई तक जारी रहेगी। उसके बाद 4 से 7 मई के बीच पश्चिम बंगाल, उत्तरी ओडिशा, झारखंड, बिहार के कई हिस्सों और पूर्वी उत्तर प्रदेश में एक बार फिर बारिश की गतिविधियां देखने को मिलेंगी।
इस तरह हम कह सकते हैं कि उत्तर भारत के पहाड़ी और मैदानी इलाकों और पूर्वी व पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में जिस तरह मार्च और अप्रैल में बारिश हुई कुछ उसी तरह मई के पहले सप्ताह में भी देखने को मिलेगी। यह भी कह सकते हैं कि मार्च और अप्रैल में तापमान जिस तरह सामान्य से नीचे रहा उसी तरह मई के पहले सप्ताह में पारा भी सामान्य से नीचे बना रहेगा। दूसरे या तीसरे सप्ताह से ही तापमान में वृद्धि देखने को मिलेगी।
Image credit: The Indian Express
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