देश के पश्चिमी हिस्सों को छोडकर इस समय अधिकांश इलाकों में कहीं-कहीं बारिश की गतिविधियां देखने को मिल रही हैं। मध्य और पूर्वी राज्यों में भी मौसम सक्रिय है। मध्य प्रदेश पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है। साथ ही इससे एक ट्रफ रेखा गंगीय पश्चिम बंगाल तक पहुँच रही है। इन दोनों सिस्टमों के प्रभाव से मध्य और पूर्वी राज्यों पर व्यापक मात्रा में नम हवाएँ पहुँच रही हैं जिससे घने बादल देखे जा सकते हैं।
मध्य प्रदेश के पूर्वी हिस्सों, छत्तीसगढ़ के मध्य और उत्तरी भागों, ओड़ीशा, झारखंड, बिहार तथा पश्चिम बंगाल में कई जगहों पर अगले 3-4 दिनों तक मौसम की सक्रियता बने रहने के आसार हैं। स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार इस दौरान इन राज्यों में कुछ स्थानों पर गरज और तेज़ हवाओं के साथ बारिश दर्ज की जाएगी।
यह समय प्री-मॉनसून वर्षा का समय है। इस समय बादलों की प्रकृति मॉनसून वर्षा ऋतु में होने वाली बारिश से बिलकुल अलग होती है। प्री-मॉनसून वर्षा की अवधि में ओलावृष्टि होने की संभावना बनी रहती है। वर्तमान मौसमी परिदृश्य संकेत कर रहे हैं कि उत्तरी छत्तीसगढ़, उससे सटे ओड़ीशा और झारखंड के भागों में एक-दो स्थानों पर ओले पड़ सकते हैं।
देश के अधिकांश हिस्सों में रबी फसलें परिपक्व होने की अवस्था में हैं। ऐसे में बारिश फसलों के लिए नुकसान और किसानों के लिए चिंता का विषय है। मध्य और पूर्वी भारत के भागों में पहले से ही हो रही वर्षा आलू सहित कई फसलों के लिए हानिकारक बताई जा रही है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार अगर ओलावृष्टि होती है तो चने, गेहूं, मक्का सहित कई फसलों की ना सिर्फ उत्पादकता प्रभावित होगी बल्कि अनाजों की गुणवत्ता पर भी बुरा असर पड़ेगा।
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