इस समय, महाराष्ट्र तट से दूर अरब सागर के भागों पर एक निम्न दवाब क्षेत्र बना हुआ है। अगले 48 घंटों में यह सिस्टम डिप्रेशन के रूप में भारतीय तट से दूर पश्चिमी-उत्तर पश्चिमी दिशा में आगे बढ़ेगा।
हालांकि, इस प्रणाली के कारण अरब सागर से दक्षिणी हवाओं के साथ बहुत अधिक नमी आएगी। जिसके बाद यह हवाएं कोंकण, गोवा, पूरे गुजरात सहित सौराष्ट्र के हिस्सों में नमी की मात्रा को बढ़ाएंगी। जबकि कच्छ क्षेत्र में बारिश की गतिविधियां कम होंगी।
स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, यह सिस्टम धीरे-धीरे आगे बढ़ेगा और अगले 3-4 दिनों के दौरान अरब सागर में विकसित होगा। जो कि भारतीय तटीय भागों के करीब है। इसलिए, इस प्रणाली के कारण होने वाली भारी बारिश केवल समुद्र तक ही सीमित रहेगी।
लेकिन, मुंबई, दहानू, अलीबाग, वलसाड, नवसारी, सूरत, भरूच, वेरावल, महुवा, दीव, सोमनाथ, जूनागढ़, द्वारका, पोरबंदर, अमरेली, भावनगर, केशोद और ओखा पर ज़्यादातर स्थानों पर मध्यम बारिश के साथ एक-दो स्थानों पर भारी बारिश होने की संभावना है।
उस दौरान, कोंकण, गोवा, दक्षिणी गुजरात और सौराष्ट्र में बारिश की तीव्रता अधिक रहने की उम्मीद है। यहां तक कि, अहमदाबाद में भी अच्छी बारिश देखे जाने के आसार हैं।
यह प्रणाली समुद्र में में ही बरकरार रहेगा तथा इसके पेरिफेरल के कारण ऊपर बताए गए क्षेत्रों में बारिश के साथ इसका असर देखने को मिलेगा।
विशेषज्ञों के मुताबिक, भूमि की निकटता मौसमी प्रणाली को डिप्रेशन से परे मजबूत करने के लिए बाधित कर रही है। जबकि, इस मौसम में डिप्रेशन के एक चक्रवात के रूप में तेज होने की संभावना अधिक रहती है।
लगभग तीन दिनों के बाद, इस प्रणाली की परिधि के कारण पाकिस्तान के हिस्सों में भी कुछ बारिश देखी जा सकती है और धीरे-धीरे यह पश्चिम-उत्तर-पश्चिम दिशा में ओमान तट की ओर बढ़ती रहेगी।
आमतौर पर ऐसा होता है कि सितंबर महीने के दौरान राजस्थान में पश्चिमी हवाएँ चलती है। लेकिन, इस प्रणाली के प्रभाव के कारण, राजस्थान में अभी पूर्वी हवाएँ चल रही है जो कि राजस्थान से मानसून की वापसी में बाधा बनेगी।
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संभावना है कि, यह पूर्वी हवाएँ राज्य में अभी जारी रहेगी। जिसके कारण मॉनसून की वापसी में और विलंब हो सकता है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, राजस्थान से मॉनसून 2019 की वापसी अक्टूबर के पहले सप्ताह में देखी जा सकती है।
Image Credit: Skymet Weather
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