स्काइमेट ने वर्ष 2017 के लिए जारी किए गए दीर्घावधि पूर्वानुमान में मॉनसून के सामान्य से कमजोर रहने की आशंका जताई है। हालांकि जून में मॉनसून की शुरुआत सामान्य गति से होगी और देश के अधिकतर हिस्सों में इसकी प्रगति भी सामान्य रफ्तार से देखने को मिलेगी। मॉनसून की सामान्य स्थिति को नियंत्रित करेगा एल-नीनो। उभर रहा एल-नीनो मध्यावधि के बाद यानि जुलाई से प्रभावी हो जाएगा जिससे मॉनसून कमजोर हो जाएगा।
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार एल-नीनो के प्रभावी होने से समुद्र की सतह गर्म होने लगेगी जिससे समुद्री क्षेत्रों से जमीनी क्षेत्रों में आर्द्रता का प्रवाह कम हो जाएगा परिणामस्वरूप मॉनसूनी हवाएँ सुस्त हो जाएंगी जिससे बारिश की गतिविधियों में कमी आएगी। भारत में मॉनसून के समय की बारिश खरीफ सीज़न की कृषि के लिए बेहद अहम है ऐसे में कमजोर मॉनसून की आशंका से ना सिर्फ किसानों की चिंता बढ़ती है बल्कि सरकार भी सतर्क हो जाती है।
इसी क्रम में मराठवाड़ा, विदर्भ और बुंदेलखंड सहित अन्य सूखा आशंकित क्षेत्रों के जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने के साथ सिंचाई योजनाओं के लिए केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने 300 करोड रूपए आवंटित किए हैं। इस पर जल्द ही काम शुरू होगा। झारखंड में उत्तरी कोयल नदी पर करीब 40 वर्षों से अधूरे पड़े बांधों के निर्माण कार्य को भी जल्द पूरा किया जायेगा। केंद्र सरकार ने इसके लिए 1600 करोड रूपए की योजना तैयार की है।
शुक्रवार को केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने नई दिल्ली में कहा कि हाल ही में उनके मंत्रालय ने 15 राज्यों के उच्च अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से आने वाले स्थितियों का आंकलन किया है। मंत्रालय ने ऐसी किसी भी स्थिति से निपटने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। जल संसाधन मंत्री के अनुसार आने वाले दिनों में बांधों का डिजाइन इस प्रकार तैयार किया जाएगा जिससे कि नदी का बहाव पूरी तरह बंद न हो और नदियों में पानी का प्रवाह बारहों मास बना रहे। उन्होंने कहा कि बांध परियोजनाओं के साथ पर्यावरण को बचाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है क्योंकि जल के बिना पर्यावरण का संरक्षण संभव नहीं है।
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