केंद्र सरकार ने 2022 तक सौर ऊर्जा से 1 लाख मेगावॉट बिजली उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है और इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार ने नियमों में कई बदलाव किए हैं। केंद्र की मोदी सरकार अब 5 मेगावॉट से अधिक सौर ऊर्जा के जरिए बिजली उत्पादन करने वाली इकाइयों को आर्थिक मदद मुहैया कराएगी। इससे पहले 10 मेगावॉट से अधिक उत्पादन करने वाली इकाइयों को सरकारी मदद मिल रही थी। सरकार ने यह फैसला इसलिए किया है ताकि सौर ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश अधिक हो और सौर ऊर्जा के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा बिजली का उत्पादन किया जा सके।
सौर ऊर्जा से 1 लाख मेगावॉट बिजली उत्पादन का लक्ष्य हासिल करने के लिए देश घर में 25 सोलर पार्क बनाए जाएंगे। इन सोलर पार्कों में 2000 मेगावॉट क्षमता के ग्रिड कनेक्टेड सोलर पीवी प्रोजेक्ट लगाए जाएंगे। जबकि कई पार्कों में यह क्षमता 5000 मेगावॉट की हो सकती है। सौर ऊर्जा पार्कों में लगने वाले प्लांट को नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा विभिन्न योजनाओं के जरिए सहयोग दिया जाएगा।
मंत्रालय के मुताबिक सोलर पार्क के अलावा अगर कोई प्लांट लगता है तो उसे यह प्रमाण देना होगा कि यह जमीन उनके नाम है या नहीं। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा तैयार दिशा निर्देशों के अनुसार सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए प्रति मेगावॉट 1 करोड़ रूपए तक की आर्थिक सहायता ली जा सकती है। यह राशि राष्ट्रीय हरित ऊर्जा फंड से दी जाएगी।
सरकार द्वारा नियमों में किए जाने वाले इस तरह के बदलाव से उम्मीद की जा रही है कि देश में सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। सौर ऊर्जा, विद्युत उत्पादन के माध्यमों से सबसे सुगम श्रोत है साथ ही इससे विद्युत उत्पादन बढ़ने से पर्यावरण की सुरक्षा में भी काफी हद तक फायदा पहुंचेगा। ग्रीन एनर्जी यानी स्वच्छ ऊर्जा का केंद्र की मोदी सरकार का सपना अगर साकार होता है तो पर्यावरण के संरक्षण में यह काफी अहम किरदार अदा करेगा।
गौरतलब है कि सरकार की नई नीति के अंतर्गत सौर ऊर्जा से उत्पादित होने वाली बिजली की कीमत 4.43 रुपए से 5.43 रुपए प्रति यूनिट रखी गई है। यह दर अगले 25 साल के लिए निर्धारित की गई है। ऐसे प्लांट से बिजली डिस्कॉम या सीधे उपभोक्ताओं को 4.50 रुपए से 5.50 रुपए की दर से बेची जा सकेगी। उल्लेखनीय बात यह भी है कि बिजली के उत्पादन में भारत में पारंपरिक स्रोतों का इस्तेमाल होता आया है। जिनमें कोयला और पानी मुख्य रुप से आते हैं। जैसा कि हम जानते हैं कोयले और पानी का एक सीमित भंडार हमारे पास है।
पानी से विद्युत उत्पादन की प्रक्रिया में नदियों पर बाँध बनाए जाते जिससे नदियों की अविरल धारा रुक जाती है। यह समूचे पारिस्थितिकी तंत्र और पर्यावरण के लिए चुनौती के रूप में माना जाता है। साथ ही नदी का पानी बाधित होने से नदी की राह में आने वाले क्षेत्रों को पानी की पर्याप्त भरपाई नहीं हो पाती। इसके अलावा दूसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उत्पादन का स्रोत है कोयला। कोयले से बिजली उत्पादन से व्यापक मात्रा में कार्बन डाईऑक्साइड और अन्य गैसों का उत्सर्जन होता है जिससे ना सिर्फ पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है बल्कि यह काफी हद तक मौसम को भी प्रभावित करता है।
Image credit: Nature.com
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