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[Hindi] कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड में हुई अच्छी बारिश; अब वर्षा में आएगी कमी

August 8, 2018 1:26 PM |

Heavy-rains-in-himachal_Himachal Watcher 600उत्तर भारत के पर्वतीय राज्यों जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में अब तक मॉनसून का प्रदर्शन सामान्य रहा है। तीनों राज्यों में मंगलवार की सुबह 8:30 बजे से पिछले 24 घंटों के दौरान कई जगहों पर मध्यम से भारी बारिश रिकॉर्ड की गई। स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार बंगाल की खाड़ी से आ रही आर्द्र हवाओं के चलते पर्वतीय राज्य में एक साथ बारिश हो रही है। अब यह हवाएँ कमजोर हो रही हैं जिससे बारिश में अगले 2-3 दिनों के दौरान कमी आएगी।

पिछले 24 दिनों के दौरान धर्मशाला में 47 मिलीमीटर की भीषण बारिश रिकॉर्ड की गई। इसी तरह मनाली में 31, टिहरी में 15, देहरादून और मुक्तेश्वर में 10, पंतनगर में 6 और शिमला में 5 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई है। आज से इस बारिश में कमी आने की संभावना है क्योंकि पूर्वी और मध्य भारत के भागों पर एक गहरे निम्न दबाव का क्षेत्र बना हुआ है, जो बंगाल की खाड़ी से उठने वाली हवाओं को आगे जाने से रोकेगा।

अगले 24 से 48 घंटों के दौरान निम्न दबाव का क्षेत्र मध्य भारत पर प्रभावी रहेगी बंगाल की खाड़ी से उठने वाली हवाओं को अपनी ओर आकर्षित कर लेगा। इससे जहां मध्य भारत के भागों पर मूसलाधार वर्षा होगी वहीं उत्तर भारत के पर्वतीय राज्यों में हवाएँ कमजोर हो जाएंगी जिससे बारिश में कमी आ जाएगी। गरज और वर्षा वाले बादलों की ताज़ा स्थिति जानने के लिए नीचे दिए गए मैप पर क्लिक करें।

 

Lightning in North India Hills

हालांकि मौसम विशेषज्ञों का आंकलन है कि वातावरण में बनी नमी और हल्की पूर्वी हवाओं के चलते तीनों पहाड़ी राज्यों में रुक-रुककर बारिश जारी रह सकती है। अगले कुछ दिनों में मध्य भारत पर बना निम्न दबाव का क्षेत्र कमजोर हो जाएगा जिससे मॉनसून की अक्षीय रेखा फिर से उत्तर में यानि हिमालय के तराई क्षेत्रों की तरफ बढ़ेगी।

इस बदलाव के कारण हिमालय के तराई क्षेत्रों के साथ-साथ जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में 11 या 12 अगस्त से फिर से बारिश की गतिविधियां जोर पकड़ सकती हैं। उस दौरान कुछ इलाकों में बादल फटने और अधिकांश जगहों पर मध्यम से भारी बारिश होने की संभावना बन सकती है। अगले दो-तीन दिनों की छोटी सी राहत के बाद फिर से बारिश वाली मुसीबत तीनों राज्यों में लोगों को झेलनी पड़ सकती है।

Image credit: Himachal Watcher

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