जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में पिछले 48 घंटों में अधिकांश स्थानों पर बारिश दर्ज की गई है। इस समय उत्तर भारत के पर्वतीय राज्यों को एक सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ प्रभावित कर रहा है। इसी सिस्टम के चलते ऊंचे पहाड़ों पर अच्छी बर्फबारी भी रिकॉर्ड की गई है। मई महीने में भारी बारिश या बर्फबारी की घटनाएँ आमतौर पर देखने को नहीं मिलती हैं।
पर्वतीय राज्यों में पिछले दो दिनों की बारिश और बर्फबारी के बाद कई स्थानों पर सामान्य जन-जीवन प्रभावित हुआ है। मध्यम से भारी बारिश के चलते उत्तराखंड में भूस्खलन जैसी घटनाएँ हुई हैं। इसके चलते केदारनाथ और बद्रीनाथ की तीर्थ यात्राएं स्थगित कर दी गई हैं। कई जगहों पर तीर्थ यात्री फँसे पड़े हैं।
हिमाचल के लाहौल स्पीति क्षेत्र में केलॉन्ग में पिछले 24 घंटों के दौरान 13 मिलीमीटर वर्षा और बर्फबारी हुई। इसके चलते तापमान में 16 डिग्री सेल्सियस की भारी गिरावट दर्ज की गई। कल का अधिकतम तापमान 3.5 डिग्री रहा। इसके अलावा हिमाचल और उत्तराखंड के अन्य स्थानों पर भी मध्यम वर्षा और बर्फबारी हुई है।
कालपा में 27 मिमी और मनाली में 19 मिमी वर्षा हुई। शिमला और नाहन सहित अन्य इलाकों में भी वर्षा दर्ज की गई। मसूरी में 9 मिमी और हरिद्वार में 1 मिमी सहित अन्य भागों में भी वर्षा दर्ज की गई। हालांकि इन भागों में पिछले 48 घंटों में अधिक बारिश दर्ज की गई।
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पहाड़ी राज्यों को बारिश देने वाला मौसमी सिस्टम इस समय जम्मू कश्मीर के करीब है और धीरे-धीरे पूर्वी दिशा की ओर बढ़ रहा है। अब बारिश में कमी आएगी। हालांकि अगले 24 घंटों तक पर्वतीय राज्यों में हल्की वर्षा जारी रहेगी। अगले 24 घंटों तक हल्की बारिश जारी रहेगी। उसके बाद मौसम शुष्क और साफ हो जाएगा।
बुधवार से मौसम में बदलाव से बद्रीनाथ और केदारनाथ की यात्रा में फँसे यात्रियों को उनके स्थानों पर पहुँचने में आसानी होगी। साथ ही अन्य प्रभावित भागों में भी जनजीवन पटरी पर लौटेगा। मौसम विशेषज्ञों की मानें तो 13 मई से एक नया पश्चिमी विक्षोभ पर्वतीय राज्यों को प्रभावित करेगा। हालांकि यह वर्तमान सिस्टम जितना प्रभावी नहीं होगा।
Image credit: Hindustan Times
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