जुलाई के आखिरी सप्ताह में दिल्ली में अधिकांश स्थानों पर कई दिनों तक चले बारिश के दौर के चलते गर्मी और उमस से व्यापक राहत मिली थी। बारिश के इस दौर के कारण ही दिल्ली में कुल मॉनसूनी बारिश का आंकड़ा सामान्य से 8% ऊपर पहुँच गया है। हालांकि बीते 2-3 दिनों से दिल्ली में मौसम सुष्क बना हुआ है। मॉनसूनी गतिविधियों में विराम लगने से राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के शहरों में गर्मी और उमस का प्रभाव फिर से बढ़ गया। मॉनसूनी बारिश का ज़ोर इस समय दिल्ली सहित उत्तर भारत के मैदानी भागों से हटकर मध्य और दक्षिणी राज्यों में दिखाई दे रहा है।
बीते कुछ दिनों से मौसमी सिस्टम दिल्ली के दक्षिण में बन रहे हैं जिससे मौसमी गतिविधियां मध्य भारत पर केन्द्रित हो गई हैं और दिल्ली से मॉनसूनी हवाएँ कमजोर हो गई हैं। गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश पर जहां चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र विकसित होते दिखाई दे रहे हैं वहीं बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पश्चिम में एक निम्न दबाव विकसित हुआ है। मॉनसून की अक्षीय रेखा भी राजस्थान और मध्य प्रदेश से होते हुए बंगाल की खाड़ी तक पहुँच रही थी।
हमारा अनुमान है कि अब मॉनसून की अक्षीय रेखा उत्तर में आएगी साथ ही जम्मू कश्मीर के पास एक पश्चिमी विक्षोभ भी पहुंचने वाला है। इन सिस्टमों के प्रभाव से जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में मौसम बदलेगा। पंजाब सहित मैदानी इलाके भी इस बदलाव से प्रभावित होंगे।
स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार दिल्ली और आसपास के भागों में बारिश कल से शुरू हो सकती है। हालांकि शुरुआत में बारिश छिटपुट जगहों पर और हल्की ही होगी। लेकिन धीरे-धीरे इसकी तीव्रता एवं दायरा दोनों बढ़ जाएगा और दिल्ली तथा इसके आसपास के भागों में अच्छी वर्षा दर्ज की जाएगी।
उत्तर भारत में मॉनसून के सक्रिय होने से शनिवार से बारिश की गतिविधियां शुरू होंगी और दिल्ली के साथ-साथ इसके आसपास के भागों में अगले 3-4 दिनों के दौरान रुक-रुक कर बारिश होती रहेगी। यानि कि अगला सप्ताह बारिश वाला होगा। बारिश से मौसम तो सुहावना हो जाएगा लेकिन बीते कुछ दिनों के दौरान बारिश के चलते यातायात से जुड़ी समस्याओं को देखते हुए लोग भयभीत हो सकते हैं।
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