दक्षिण-पश्चिम मॉनसून में कभी झमाझम बारिश होती है तो कभी लंबे समय तक लोगों को सूखे का सामना करना पड़ता है। मॉनसून के आगे बढ़ने की रफ्तार भी हर बार अलग-अलग होती है। कभी यह तेज़ी से कई इलाकों में पहुँच जाता है तो कभी मॉनसून लंबा इंतज़ार करवाता है। मध्य भारत में मॉनसून वर्षा में विविधता सबसे अधिक देखने को मिलती है। यहाँ कोंकण क्षेत्र ऐसा इलाका है जहां प्रायः मॉनसून अत्यधिक वर्षा देता है।
मध्य भारत में जहां तक मॉनसून 2018 के प्रदर्शन की बात है तो मध्य प्रदेश के भीतरी इलाकों और मध्य महाराष्ट्र में सामान्य से अधिक यानि अच्छी बारिश की संभावना है। इसके अलावा इस बार पूर्वी मध्य प्रदेश, मराठवाड़ा और छत्तीसगढ़ में भी अच्छी मॉनसून वर्षा देखने को मिल सकती है। गुजरात में चार महीनों के मॉनसून सीज़न में सामान्य बारिश के संकेत मिल रहे हैं।
मुंबई, पुणे, नासिक, भोपाल, इंदौर, जबलपुर, उज्जैन और रायपुर में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है। जबकि अहमदाबाद, बड़ौदा, राजकोट और सूरत में सामान्य बारिश के आसार हैं।
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मध्य भारत में पिछले दो वर्षों में मॉनसून के प्रदर्शन की अगर बात करें तो विदर्भ और मध्य प्रदेश में पिछले साल कम बारिश हुई जबकि 2016 में इन भागों में अच्छी मॉनसून वर्षा दर्ज की गई थी। इस दौरान छत्तीसगढ़ में सामान्य बारिश रही। कोंकण क्षेत्र में 2016 में सामान्य से काफी अधिक मॉनसून वर्षा हुई थी लेकिन 2017 में सामान्य मॉनसून वर्षा रिकॉर्ड की गई।
गुजरात और मराठवाड़ा में 2016 में जमकर बरसा था मॉनसून और सामान्य से अधिक वर्षा के साथ विदा हुआ था जबकि 2017 में इसने दोनों क्षेत्रों में सामान्य की सीमा के भीतर ही बारिश दी।
स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार मध्य भारत के राज्यों में बारिश मुख्यतः बंगाल की खाड़ी में विकसित होने वाले सिस्टमों की दिशा पर निर्भर करता है। बंगाल की खाड़ी में उठने वाले मौसमी सिस्टम जब पश्चिमी या उत्तर-पश्चिमी दिशा में जाते हैं तब मध्य भारत में अच्छी मॉनसून वर्षा दर्ज की जाती है।
Image Credit: IBTimes
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