उत्तर भारत के मैदानी भागों में महज़ पंजाब ही एकमात्र ऐसा राज्य था जहां इस मॉनसून सीजन के शुरुआती माह जून में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई थी। जबकि उसी दौरान हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली में 8% कम बारिश हुई थी।
उत्तर भारत के मैदानी भागों में दक्षिण पश्चिम मॉनसून उत्तरोत्तर कमजोर ही होता चला गया जिससे जुलाई और अगस्त में इन भागों में बारिश में कमी के आंकड़े में और बढ़ोत्तरी हुई। 30 अगस्त तक के आंकड़ों के अनुसार पंजाब में औसत से 33% कम जबकि हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली में 31% औसत से कम बारिश हुई थी।
सितंबर में भी मॉनसून ने इसी क्रम को आगे बढ़ाया। सितंबर में अब तक मैदानी इलाकों में मौसम मुख्य रूप से शुष्क बना हुआ है। 21 सितंबर तक के बारिश के आंकड़ों को देखा जाए तो पंजाब में औसत से 41% कम बारिश हुई है। हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली में 38% औसत से कम वर्षा दर्ज की गई है।
हालांकि अब जब सितंबर अपने उतार पर है, तब मौसमी परिस्थितियाँ कुछ सकारात्मक प्रतीत हो रही हैं। उत्तरी गुजरात पर बना निम्न दबाव का क्षेत्र उत्तर-पूर्व दिशा में आगे बढ़ते हुए उत्तर भारत के मैदानी भागों की ओर पहुँचने वाला है। इस सिस्टम को पश्चिमी विक्षोभ से भी मदद मिलने वाली है जो इस समय उत्तरी पाकिस्तान पर स्थित है।
इन दोनों सिस्टमों के संयुक्त प्रभाव से जाते-जाते मॉनसून उत्तर भारत के मैदानों पर सकारात्मक प्रदर्शन कर सकता है। बदलता मौसमी परिदृश्य यह संकेत कर रहा है कि पश्चिमी राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 23 सितंबर तक अच्छी बारिश होगी। यह इन भागों में मॉनसून 2015 की आख़िरी बारिश भी हो सकती है।
24 सितंबर से इन मैदानी राज्यों में मौसम फिर से शुष्क हो जाएगा। हवा के रूख में भी बदलाव आएगा और उत्तर-पश्चिम से आने वाली शुष्क हवाओं के चलते वातावरण में मौजूद नमी में भारी गिरावट आएगी। इसके चलते न्यूनतम तापमान घटेगा जिससे रात का मौसम खुशनुमा हो जाएगा। हालांकि दिन खिली धूप के बीच गर्म ही बना रहेगा।
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