देश में लोकसभा चुनाव 11 अप्रैल से शुरू होकर 19 मई तक सात अलग-अलग चरणों में होंगे। यह ऐसा समय है जब उत्तर भारत में जम्मू कश्मीर से लेकर दक्षिण में तमिलनाडु और केरल तक,पूरब में असम से लेकर पश्चिम में गुजरात और राजस्थान तक गर्मी अपने प्रचंड रूप में आ जाती है।
पिछले साल 7 अप्रैल से 12 मई के बीच लगभग 36 दिनों में 9 चरणों में चुनाव हुआ था। कुल 65.4% मतदान हुआ था। इस बार 7 चरणों में यानि मौसम 11 अप्रैल से 19 मई के बीच 7 चरणों में वोट डाले जाएंगे। मतदान प्रतिशत मौसम पर काफी निर्भर करता है। ज़्यादा गर्मी कम मत प्रतिशत का कारण इस बार भी बन सकती है।
जिस समय चुनाव हो रहे होंगे उस दौरान उत्तर भारत में आँधी-तूफान और गर्जना के साथ बारिश की संभावना होती है। हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश सहित उत्तर भारत के मैदानी इलाके अप्रैल और मई में अक्सर आँधी-तूफान का शिकार होते हैं। पिछले साल 7 से 9 मई के बीच इन भागों में भीषण तूफान के साथ बारिश की गतिविधियां देखने को मिली थीं।
उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भागों में खासकर नोएडा, गाज़ियाबाद में पहले चरण में 11 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। जब मौसम दिन का तापमान 35-36 डिग्री के आसपास रहता है। यानि गर्मी बहुत प्रचंड नहीं होती, इसलिए इन भागों में लोगों को ज़्यादा दिक्कत नहीं होगी। दूसरी ओर दिल्ली की सभी 7 लोकसभा सीटों पर छठें चरण में 12 मई को मतदान होगा। 12 मई तक दिल्ली-एनसीआर में लू चलने लगती है, जिससे दिल्ली के लोगों को ख़ासी परेशानी हो सकती है।
इसी दौरान छोटा नागपुर पठार के अंतर्गत आने वाले राज्यों बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल,ओड़ीशा और छत्तीसगढ़ के कुछ इलाकों में काल बैसाखी का प्रकोप देखने को मिलता है। काल बैसाखी, जिसे नोर्वेस्टर भी कहते हैं,एक ऐसी मौसमी घटना है जिसमें भीषण हवाएं चलती हैं,बादलों की तेज़ गड़गड़ाहट लोगों को डराती है।
कुछ स्थानों पर बारिश भी होती है।इस दौरान आंधी तूफान का प्रकोप इतना अधिक होजाता है कि झोपड़िया उड़ जाती हैं।सबसे ज़्यादा नुकसान बिजली गिरने होता है। इससे बेवजह लोग मौत का शिकार भी हो जाते हैं।काल बैसाखी जान और माल के नुकसान का कारण बनती है।
मध्य भारत में चिलचिलाती धूप और लू लोगों को डराती। ऐसे में लोग घरों से कम ही बाहर निकलते हैं। ऐसे में चुनाव में मतदान प्रतिशत में कमी कोई आश्चर्यजनक बात नहीं होती। दूसरी ओर समुद्री किनारे करीब होने के कारण दक्षिण भारत के राज्यों में अप्रैल और मई के महीनों में आर्द्र हवाएँ आती हैं। ऐसे में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल में गर्मी के साथ उमस भी काफी अधिक होती है।
जाहिर है मतदान के हिसाब से यह मौसम बहुत अनुकूल नहीं कहा जाएगा।130 करोड़ की आबादी वाले भारत जैसे विशाल देश में हर मतदान केंद्र पर छाए का प्रबंध, पेयजल की व्यवस्था और मतदाताओं को लू लगने की स्थिति में प्राथमिक उपचार का इंतज़ाम करना आसान काम नहीं है।
Image credit: LiveMint
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