अक्टूबर का महीना भारत में मौसम में बड़े बदलाव लेकर आता है। एक तरफ जहां दक्षिण-पश्चिम मॉनसून वापस जा रहा होता है वहीं दूसरी ओर 15 से 20 अक्टूबर के बीच दक्षिण भारत में उत्तर पूर्वी मॉनसून दस्तक देता है। इसके अलावा बड़ा बदलाव समुद्री तूफानों के रूप दिखाई देता है। अक्तूबर महीने में बंगाल की खाड़ी में चक्रवाती तूफान बनने की संभावनाएं सबसे ज़्यादा होती हैं। इस समय बंगाल की खाड़ी में समुद्र की सतह का तापमान औसत से ऊपर चल रहा है और विंडशियर कम है, इसी कारण खाड़ी काफी सक्रिय है।
भारत के तटों पर दो तरफ से समुद्री तूफान टकराते हैं। एक ओर बंगाल की खाड़ी तो दूसरी ओर अरब सागर में भी तूफान विकसित होते हैं। हालांकि बंगाल की खाड़ी की तरफ से उठने वाले चक्रवाती तूफानों की संख्या अपेक्षाकृत ज्यादा होती है। बंगाल की खाड़ी में चक्रवाती तूफान, निम्न दबाव के क्षेत्र की क्षमता से बनते हैं और धीरे-धीरे उनका प्रभाव बढ़ने लगता है। हालांकि कई बार प्रशांत महासागर की तरफ से आने वाले चक्रवाती तूफान भी थाईलैंड की खाड़ी से कमजोर होकर उत्तरी अंडमान सागर पर प्रवेश करते हैं और यहां फिर से उन्हें मौसमी स्थितियां अनुकूल मिलती हैं जिससे चक्रवाती तूफान या डिप्रेशन की क्षमता में आ जाते हैं।
English Version:
अक्टूबर का महीना चक्रवात विकसित होने के लिए सबसे अनुकूल महीना होता है। इस साल भी अक्टूबर महीने का पहला निम्न दबाव का क्षेत्र ओडिशा के जमीनी भागों पर पहुंचने के बाद कमजोर हो चुका है। लेकिन एक नया मौसमी सिस्टम बंगाल की खाड़ी पर जल्द ही बनने वाला है। यह सिस्टम दक्षिण-पूर्व एशिया की तरफ से थाईलैंड को पार करते हुए बंगाल की खाड़ी में पहुंचेगा। 9 अक्टूबर को यह सिस्टम निम्न दबाव के क्षेत्र की क्षमता में आ सकता है। आगामी सिस्टम डिप्रेशन की क्षमता तक आ सकता है और ओडिशा तथा आंध्र प्रदेश के तटों पर इसका लैंडफॉल हो सकता है।
कहानी यहीं खत्म नहीं होगी क्योंकि 16 अक्टूबर को एक नया मौसमी सिस्टम बंगाल की खाड़ी में विकसित होने की तैयारी कर रहा है। यह अक्टूबर महीने का तीसरा सिस्टम होगा। उसके बाद अक्टूबर के बाकी बचे दिनों में मौसमी सिस्टम विकसित होंगे या नहीं इसके बारे में अभी कहना जल्दबाज़ी होगा। साथ ही 16 अक्टूबर को विकसित होने वाले मौसमी सिस्टम की क्षमता क्या होगी, इसके बारे में भी अभी तय कर पाना आसान नहीं है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अक्टूबर में आमतौर पर बंगाल की खाड़ी के मध्य भागों पर मौसमी सिस्टम विकसित होते हैं और यह पश्चिमी तथा उत्तर-पश्चिमी दिशा में आगे बढ़ते हुए ओडिशा तथा आंध्र प्रदेश के तटों से टकराते हैं। लेकिन कभी-कभी आगे बढ़ने के बाद यह सिस्टम अपनी दिशा परिवर्तित करते (रिकर्व होते हैं) हैं और गंगीय पश्चिम बंगाल, बांग्लादेश तथा म्यांमार का भी रुख करते हैं।
बंगाल की खाड़ी के उत्तरी और मध्य भागों में तापमान में नवंबर से गिरावट आनी शुरू हो जाती है। लेकिन दक्षिणी भागों में तापमान नवंबर में भी गर्म रहते हैं इसलिए नवंबर में निम्न दबाव के क्षेत्र, डिप्रेशन या तूफान बनने की लोकेशन बदल जाती है और यह दक्षिणी अंडमान सागर या दक्षिण बंगाल की खाड़ी पर विकसित होने लगते हैं। इसीलिए नवंबर और दिसंबर में बनने वाले चक्रवाती तूफान आमतौर पर पश्चिमी उत्तर पश्चिमी दिशा में बढ़ते हुए दक्षिणी आंध्र प्रदेश तथा तमिलनाडु के तटों की तरफ आते हैं।
Image Credit: The Hindu
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