प्री-मॉनसून सीज़न के दौरान, देशभर में वर्षा के समग्र प्रतिशत में सबसे अधिक योगदान देने वाले दो क्षेत्र हैं। एक तो उत्तर भारत की पहाड़ियों का और दूसरा है देश के उत्तरपूर्वी भाग का। प्री-मानसून सीजन की बारिश अप्रैल की तुलना में मार्च में ज्यादा होता है।
इस सीज़न में अब तक पहाड़ियों ने बेहतर प्रदर्शन नहीं किया है। जम्मू और कश्मीर में 42 प्रतिशत बारिश की कमी है, जबकि यह कमी हिमाचल प्रदेश में 47 प्रतिशत और उत्तराखंड में 16 प्रतिशत (+/- 19% सामान्य) है।
स्काईमेट के मौसम विज्ञानियों के अनुसार, मौसम प्रणालियों में पश्चिमी विक्षोभ का बारिश पर असर अक्सर रहा है, लेकिन वे इस प्री-मॉनसून में तीव्र और सक्रिय नहीं रहे हैं।
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, 23-25 अप्रैल तक क्षेत्र में बारिश होने के बाद पहाड़ियों में व्याप्त पश्चिमी विक्षोभ साफ हो गया है।वर्षा के मामले में इस समय के दौरान अधिकतम गतिविधि 24 अप्रैल को देखी गई थी। जबकि 25 अप्रैल तक इसकी तीव्रता में कमी आ गयी थी।
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बारिश के इस गतिविधि के दौरान, जम्मू और कश्मीर में मुख्य रूप से इसका असर देखा गया। हालांकि, मौसम की यह प्रणाली अब साफ हो गई है, लेकिन इस प्रणाली के अवशेष बारिश और बादलों के मामले में 29 अप्रैल से इस क्षेत्र में फिर से कुछ मौसमी गतिविधियां दिखाई दे सकते हैं।
30 अप्रैल से 1 मई के बीच मौसम की गतिविधियां अधिक व्यापक होने की संभावना है। इसी तरह की स्थिति हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों में भी रहने वाली है। लेकिन इसकी तीव्रता जम्मू - कश्मीर पर ज्यादा होने की संभावना है।
पहाड़ियों की ऊपरी हिस्सों में बर्फबारी दिख सकती है, जबकि निचले और मध्य भाग में 40-50 किमी प्रति घंटे की तेज हवाओं के साथ गरज और बारिश देखने को मिलेगी। मौसम की इस अवधि के दौरान, गरज और आकाशीय बिजली जैसी गतिविधियों से इंकार नहीं किया जा सकता है।
इसके अलावा, किसी मौसम की गतिविधि नहीं होने के कारण, आज से अगले कुछ दिनों तक दिन के तापमान में वृद्धि होने के आसार हैं।
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