बंगाल की खाड़ी पर एक नया निम्न दबाव का क्षेत्र विकसित हो गया है। उम्मीद है कि यह जल्द ही और प्रभावी हो जाएगा। इस सिस्टम के बंगाल की खाड़ी पर अगले 3 दिनों तक रहने की संभावना है, उसके बाद यह धीरे-धीरे प्रभावी होते हुए उत्तर और उत्तर पश्चिमी दिशा में ओडिशा के उत्तरी भागों और इससे सटे पश्चिम बंगाल के तटों से टकराएगा। 21 अक्टूबर तक यह डिप्रेशन और 22 अक्टूबर तक डीप डिप्रेशन बन जाएगा।
पिछले सिस्टम के मुकाबले यह लंबी दूरी का जमीनी सफर तय नहीं करने वाला बल्कि यह बीच रास्ते से ही मुड़ जाएगा। पिछले सिस्टम सिस्टम आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र को पार करते हुए अरब सागर में गया था, जहां पहुंचने के बाद वह फिर से प्रभावी होकर डीप डिप्रेशन बना था। लेकिन नया सिस्टम ओडिशा और पश्चिम बंगाल के तटों से टकराने के बाद अपनी दिशा परिवर्तित करेगा और संभवत बांग्लादेश को पर कर असम व मेघालय की तरफ जाएगा। हालांकि मेघालय तक पहुंचते-पहुंचते यह पुनः कमजोर हो जाएगा।
उत्तरी तटीय ओडिशा और गंगीय पश्चिम बंगाल में 21 और 22 अक्टूबर को तूफानी हवाओं के साथ मूसलाधार वर्षा होने की संभावना है। इसके अलावा यह सिस्टम बांग्लादेश, असम, मेघालय, नागालैंड और मणिपुर को व्यापक रूप में प्रभावित करेगा। इन भागों में 23 से 25 अक्टूबर के बीच भीषण बारिश होने की संभावना नजर आ रही है।
इस सिस्टम के दिशा परिवर्तन कर पूर्वी और पूर्वोत्तर दिशा में जाने के कारण मॉनसून की वापसी का रास्ता साफ हो सकता है और जल्द ही दक्षिण-पश्चिम मॉनसून 2020 देश के बाकी भागों से अलविदा कह जाएगा। इस बीच संभावित सिस्टम झारखंड और बिहार को भी 22 से 24 अक्टूबर के बीच हल्की से मध्यम वर्षा दे सकता है। हालांकि उत्तरी छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश पर इसका प्रभाव नहीं दिखेगा।
पूर्वोत्तर भारत, गंगीय पश्चिम बंगाल और ओडिशा के तटीय क्षेत्रों में तूफानी हवाओं के साथ मूसलाधार बारिश की संभावनाओं को देखते हुए स्काइमेट का सुझाव है कि इन राज्यों पर पहले से ही एहतियाती उपाय किए जाने चाहिए ताकि मौसम की बिगड़ती चाल और हवाओं के उग्र रूप से जान और माल के नुकसान को टाला जा सके। राहत और बचाव एजेंसियों को भी तैयार रहने की आवश्यकता है।
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