देश का राष्ट्रीय पर्व गणतन्त्र दिवस एक सप्ताह से भी कम समय दूर रह गया है। राष्ट्रीय पर्व का उत्सव यूं तो समूचे भारतवर्ष में मनाया जाता है लेकिन राष्ट्रीय राजधानी के राजपथ पर आयोजित होने वाली परेड का प्रसारण लोग पूरे रोमांच के साथ देखते हैं। गणतन्त्र दिवस उत्सव 26 जनवरी को शुरू होता है और 29 जनवरी की शाम को बीटिंग द रिट्रीट के साथ सम्पन्न होता है। 26 जनवरी को आयोजित होने वाली परेड देश की सेना के सौर्य का प्रदर्शन होता है।
26 जनवरी की परेड के आयोजन में मौसम की तरफ से किसी विघ्न की आशंका नहीं है। हालांकि सुबह के समय शीतलहर और मध्यम से घने कोहरे की संभावना है। न्यूनतम तापमान 5 डिग्री के आसपास रहेगा। लेकिन पश्चिमी दिशा से आने वाली शुष्क हवाओं के कारण धूप जल्द दिखेगी जिससे तापमान में 9 बजे से वृद्धि शुरू हो जाएगी। इस आयोजन राजपथ पर मौजूद जन समूह को सबसे अधिक रोमांचित करते हैं आसमान में करतब दिखते, कलाबाज़ियाँ करते भारतीय वायुसेना के युद्धक विमान जिन्हें जाँबाज पायलट राजपथ के ऊपर से लेकर गुजरते हैं। और धूप खिलने से इन विमानों की कलाबाज़ियाँ देखने का पूरा मौका मिलेगा।
पिछले 15 वर्षों में सिर्फ दो बार परेड के आयोजन में बारिश ने बाधा डाली है। 2005 के बाद से 2015 में पहली बार और 2017 में दूसरी बारिश 26 जनवरी के परेड आयोजन के समय बारिश हुई थी। इन दो वर्षों को छोड़ बाकी के वर्षों में 26 जनवरी को कुहासा और हल्का कोहरा देखने को मिला है। इन 15 वर्षों में 26 जनवरी के दिन सबसे ज़्यादा ठंडी थी 2008 में न्यूनतम तापमान 4.1 डिग्री रिकॉर्ड किया गया था। जबकि घना कोहरा 2009, 2010 और 2014 में देखने को मिला था। पिछले दो वर्षों यानि 2019 और 2020 में क्रमशः 6.8 डिग्री और 6.4 डिग्री तापमान रहा था यानि सामान्य सर्दी थी और हल्का कोहरा था जो जल्द ही साफ हो गया था।
इस साल के गणतन्त्र दिवस के परेड पर भी कोविड-19 का प्रभाव देखने को मिलेगा। राजपथ पर परेड में जवान मास्क पहने नज़र आएंगे। सैन्यदल के आकार में भी परिवर्तन किया गया है। पहले के 12x12 के सैन्यदल को घटाकर 12x8 कर दिया गया है। अब सैन्यदल में 144 जवानों की जगह 96 जवान कदमताल करते नज़र आएंगे। इसके अलावा परेड की दूरी को भी 50% कम कर दिया गया है। अब परेड राष्ट्रीय स्टेडियम पर ख़त्म हो जाएगी जबकि आमतौर पर परेड लाल क़िले तक जाती थी।
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