फरवरी-मार्च और अप्रैल वह महीने हैं जब भारत में रबी फसलें कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं। इसमें दलहन, तिलहन, मोटे अनाज के अलावा गेहूं की फसल मुख्यतः शामिल है। साथ ही सब्जियों के अलावा आलू की फसल भी पटाई के लिए तैयार होती है। ऐसे में मौसम में भारी उतार-चढ़ाव फसलों के लिए चुनौती बन जाता है।
वर्तमान फरवरी महीने की अगर बात करें तो पंजाब से लेकर हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल तक कई इलाकों में अच्छी बारिश देखने को मिली है। इस बारिश के साथ पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में तेज हवाएं चलने और ओलावृष्टि होने के कारण रबी फसलों को नुकसान पहुंचा है।
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार गेहूं, सरसों, चना, मटर सहित अनेक फसलों को क्षति पहुंची है। पंजाब और हरियाणा में गेहूं, सरसों और आलू की फसलें खराब हुई हैं। जबकि मध्य प्रदेश के उत्तर-पश्चिमी जिलों में चने की फसल को नुकसान की खबर है। मध्य प्रदेश में चने की लगभग 31 लाख हेक्टेयर खेती होती है। इस बार 34 लाख हेक्टेयर से ज़्यादा चने की खेती मध्य प्रदेश में हुई है।
किसानों की चिंता बची हुई फसलों की गुणवत्ता के खराब होने को लेकर भी है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि जो फसलें इस समय दना भरने और पकने की अवस्था में पहुँच गई हैं उनमें जलभराव के कारण अनाज की गुणवत्ता में गिरावट होने की आशंका रहती है।
किसान इसलिए परेशान हैं क्योंकि अनाज खराब होने के बाद इसकी कीमतें बाजार में गिर जाती हैं। ज़ाहिर है इससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। आने वाले दिनों में मौसम की बात करें तो 20 से 22 फरवरी के बीच पंजाब, हरियाणा में कई जगहों पर जबकि राजस्थान और उत्तर-पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कुछ स्थानों पर बारिश की संभावना है। यानि खतरा अभी भी टला नहीं है।
Image credit: Daily Mail
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