उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में बीते दिनों की भारी बारिश के चलते बाढ़ के हालात गंभीर हो गए हैं। गंगा नदी इलाहाबाद और वाराणसी सहित राज्य के कई जिलों में उफान पर है। इसके अलावा अन्य नदियों में भी जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। इस बीच राहत की बात है कि उत्तर प्रदेश के दक्षिण-पूर्वी जिलों को छोड़कर अधिकांश इलाकों में बारिश कम होगी जिससे बाढ़ का खतरा कुछ कम हो सकता है।
बीते कई दिनों से उत्तर प्रदेश पर एक ट्रफ रेखा और पूर्वी उत्तर प्रदेश पर एक चक्रवाती सिस्टम बना हुआ था, जिसके चलते मॉनसून मुख्यतः उत्तर प्रदेश के पूर्वी भागों पर ही केन्द्रित था। चक्रवाती सिस्टम पिछले 36 घंटों में और प्रभावी होते हुए निम्न दबाव का क्षेत्र बन गया था और दक्षिण-पूर्वी भागों पर स्थिति था जिसके चलते इलाहाबाद, वाराणसी, कानपुर सहित कई पूर्वी जिलों में भारी बारिश दर्ज की गई। पिछले 24 घंटों के दौरान इलाहाबाद में 95.8 मिलीमीटर और वाराणसी में 42.6 मिलीमीटर वर्षा रिकॉर्ड की गई।
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पूर्वी उत्तर प्रदेश पर बना निम्न दबाव आने वाले दिनों में और प्रभावी होगा लेकिन दक्षिण-पूर्वी दिशा में आगे बढ़ेगा। जल्द ही यह मध्य प्रदेश में पहुँच जाएगा जिससे बारिश का दायरा मध्य प्रदेश में बढ़ेगा जबकि उत्तर प्रदेश में कम होगा। फिलहाल दक्षिण-पूर्वी उत्तर प्रदेश में अगले 24 घंटों तक अच्छी मॉनसून वर्षा जारी रहने की संभावना है। अगले 24 घंटों के बाद बारिश में व्यापक रूप में कमी आएगी।
हालांकि वाराणसी, गोरखपुर, इलाहाबाद, लखनऊ, कानपुर, आगरा, अलीगढ़ और एटा में अगले 24 से 48 घंटों के दौरान कहीं-कहीं हल्की बारिश हो सकती है। राज्य में छिटपुट जगहों पर मध्यम वर्षा की संभावना को भी ख़ारिज़ नहीं किया जा सकता।
बता दें कि उत्तर प्रदेश के अधिकतर हिस्सों में बारिश घटने के बाद भी नदियों का जलस्तर बढ़ेगा क्योंकि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश सहित उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्रों में बीते दिनों की बारिश के पानी का प्रवाह लगातार बना रहेगा। इस बीच वाराणसी और इलाहाबाद में गंगा के जलस्तर में तेज़ी से हो रही बढ़ोत्तरी के साथ प्रशासन ने बाढ़ से निपटने की तैयारियां शुरू कर दी हैं।
खबरों के मुताबिक बीते 48 घंटों के दौरान हुई भारी बारिश के चलते इलाहाबाद और वाराणसी में कई इलाकों में पानी भर गया है और सड़कें तालाब में तब्दील हो गई हैं। इलाहाबाद में तटीय इलाकों को खाली करा दिया गया है। वाराणसी में मंगलवार की शाम को जलस्तर 62 मीटर तक पहुँच गया जो खतरे के निशान 71.26 मीटर से कुछ ही दूर है।
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