भारत में सबसे अधिक वर्षा देने वाला दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सीज़न पहला चरण पार कर दूसरे चरण में प्रवेश कर चुका है। भारत में खरीफ ऋतु में होने वाली खेती के लिए मॉनसून बेहद अहम होता है। इसीलिए मॉनसून की तरफ सरकार और किसानों से लेकर आम आदमी तक की नज़रें टिकी होती हैं। किसानों की उपज और लागत मॉनसून पर निर्भर करती है। खाद्यानों की कीमतों में उतार-चढ़ाव से आम जनता का बजट प्रभावित होता है और सरकार मुद्रा स्फीति में उछाल के चलते विपक्ष के निशाने पर होती है।
सामान्य मॉनसून का पूर्वानुमान भी सभी के लिए राहत भरा होता है। इससे बढ़कर सामान्य मॉनसून वर्षा सभी अर्थों में बड़ी राहत है। इससे ना सिर्फ खरीफ उत्पादन अच्छा होता है बल्कि रबी सीज़न के लिए भी मिट्टी में नमी अनुकूल स्तर पर बनी रहती है जिससे रबी फसलों की उत्पादकता भी बेहतर होने की उम्मीद पैदा हो जाती है।
भारत में मॉनसून की शुरुआत आमतौर पर 1 जून से केरल होती है। हालांकि वर्ष 2017 में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ने केरल में 30 मई को दस्तक दी और शुरू हुआ इसका चार माह लंबा भारत का सफर। अब तक के मॉनसून के प्रदर्शन पर नज़र डालें तो भारत में 1 जून से 10 अगस्त तक सामान्य से 3 प्रतिशत कम 528.7 मिलीमीटर वर्षा हुई है। इसमें देश के कुछ इलाकों में मॉनसून की बेरुखी है तो कई इलाकों को भीषण वर्षा के चलते बाढ़ जैसे हालात का सामना करना पड़ा।
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सामान्य से सबसे अधिक बारिश वाले स्थानों में पश्चिमी राजस्थान और गुजरात के कच्छ क्षेत्र को गिना जा सकता है। पश्चिमी राजस्थान में सामान्य से 92 प्रतिशत अधिक 312 मिलीमीटर वर्षा रिकॉर्ड की गई है। सौराष्ट्र और कच्छ में भी सामान्य से 42 प्रतिशत अधिक 456 मिलीमीटर बारिश हुई है। दूसरी ओर विदर्भ, मराठवाड़ा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, केरल और कर्नाटक सबसे कम वर्षा पाने वाले स्थानों में शुमार हैं। दक्षिणी आंतरिक कर्नाटक में सामान्य से 33 फीसदी कम, केरल में 28 प्रतिशत कम, मराठवाड़ा में 29 और विदर्भ में 27 फीसदी कम और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सामान्य से 26 प्रतिशत कम वर्षा हुई है।
मॉनसून पूर्वानुमान
आने वाले दिनों में भी मॉनसून के प्रदर्शन में विशेष सुधार होने की संभावना नहीं है। दक्षिण भारत और मध्य भारत में मॉनसून वर्षा कम से कम अगले एक सप्ताह तक नहीं बढ़ेगी। मॉनसून की अक्षीय रेखा फिर से हिमालय के तराई क्षेत्रों में पहुँच गई है। इसके चलते अगले 4-5 दिनों तक बारिश का केंद्र हिमालय के तराई क्षेत्र ही बने रहेंगे। उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्रों, बिहार, असम, सिक्किम में भीषण वर्षा हो सकती है। उत्तर प्रदेश, बिहार और असम में अगले 3-4 दिनों तक बाढ़ की भी आशंका है।
दूसरी ओर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के उत्तरी भागों में अगले 2-3 दिनों के दौरान अच्छी बारिश के आसार हैं। पश्चिमी तटीय भागों में भी अच्छी वर्षा हो सकती है। बाकी हिस्सों में अगले 4-5 दिनों तक विशेष मॉनसूनी हलचल नहीं दिखेगी। ओड़ीशा और छत्तीसगढ़ में 17 अगस्त से फिर से बारिश बढ़ने की संभावना है। उसके पश्चात धीरे-धीरे बारिश का दायरा मध्य भारत में भी बढ़ेगा और महाराष्ट्र के उन इलाकों में भी बारिश होगी जहां लंबे समय से मौसम सूखा पड़ा है।
Image credit: Bloogs Financial Times
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