दिल्ली के सफदरजंग मौसम केंद्र पर 14 जनवरी यानी मकर संक्रांति के दिन न्यूनतम तापमान 2 डिग्री दर्ज किया गया जो इस सीजन का दूसरा सबसे कम तापमान है। इससे पहले 1 जनवरी को न्यूनतम तापमान 1.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। इस साल मकर संक्रांति यानी 14 जनवरी को दर्ज किया गया तापमान वर्ष 2000 के बाद से मकर संक्रांति के दिन का सबसे कम तापमान है। इससे पहले 13 जनवरी को लोहड़ी पर्व पर भी राजधानी दिल्ली में दर्ज किया गया तापमान बीते दो दशकों में लोहड़ी के दिन का सबसे कम तापमान रहा।
2021 की मकर संक्रांति से पहले 2017 में 14 जनवरी को न्यूनतम तापमान 3.7 डिग्री दर्ज किया गया था जबकि 2003 में 14 जनवरी को पारा 4.6 डिग्री रिकॉर्ड किया गया था। इन 20 वर्षों में पांच ऐसे साल रहे जब मकर संक्रांति के दिन न्यूनतम तापमान 2 अंकों में यानी 10 डिग्री से ऊपर रिकॉर्ड किया गया और सबसे कम सर्दी वर्ष 2002 की मकर संक्रांति पर रही जब 14 जनवरी को तापमान 14 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था।
English Version: First Lohri and now Makar Sankranti the coldest for Delhi since 2000
बीते 5 दिनों से दिल्ली में तापमान लगातार नीचे जा रहा है। 9 जनवरी को जहां न्यूनतम तापमान 10.5 डिग्री सेल्सियस था वहीं आज 9 डिग्री गिरकर 2 डिग्री के स्तर पर पहुंच गया। आपको बता दें कि इस सीजन में यह दूसरा मौका है जब न्यूनतम तापमान में इस तरह की भारी गिरावट दर्ज की गई और यह सामान्य से 5 डिग्री नीचे पहुंचा। तापमान में गिरावट के चलते लगातार 2 दिन से दिल्ली में भीषण शीतलहर चल रही है और यही स्थितियां इस सप्ताह के आखिर तक बनी रह सकती हैं।
भारत के पहाड़ों से होकर आ रही बर्फीली हवाओं के कारण न सिर्फ दिल्ली बल्कि उत्तर भारत के अनेक शहरों में पारा तेजी से गिरा है। तापमान में गिरावट के साथ-साथ सुबह के समय कोहरा भी बढ़ना शुरू हुआ है। आज सुबह के समय कुछ इलाकों में मध्यम से घना कोहरा छाया रहा जिससे दृश्यता में कमी आई। हालांकि हवा की रफ्तार बढ़ते ही कोहरा कम हुआ और दृश्यता में सुधार देखने को मिला। वर्तमान मौसमी स्थितियों के अनुसार उत्तर भारत के पहाड़ों पर 16 जनवरी तक कोई सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ नहीं आने वाला जिससे उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी सर्द हवाएं 16 जनवरी तक जारी रहेंगी। 16 जनवरी के बाद हवाओं के रुख में बदलाव होगा जिससे सर्दी से कुछ राहत मिल सकती है। हालांकि यह राहत तत्कालिक होगी।
मकर संक्रांति पर्व के दिन से सूर्य उत्तरायण होने लगता है जिससे दिन बड़ा होने लगता है और रातें छोटी। इसी क्रम के बाद सूर्य का प्रभाव बढ़ना शुरू हो जाता है। धूप धरती पर अधिक समय तक रहने लगती है जिससे सर्दी का मौसम उतार की तरफ अग्रसर होता है। हालांकि सर्दी से तत्काल राहत मिलेगी या नहीं यह अन्य मौसमी स्थितियों पर भी निर्भर करता है। वर्तमान मौसमी स्थितियां यह संकेत कर रही हैं कि सर्दी से बड़ी राहत जनवरी के आखिर या उसके बाद ही मिलने की संभावना है।
Image credit: India Today
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