भारत में मार्च के आरंभ से प्री-मॉनसून वर्षा की गतिविधियां शुरू हो जाती हैं। बारिश के प्रदर्शन में बदलाव देखने को मिलता है। स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार देशभर में मार्च के पहले पखवाड़े में सामान्य से कम वर्षा रिकॉर्ड की गई। 14 मार्च तक के आंकड़े 58% कम वर्षा का संकेत करते हैं।
देश भर में 1 मार्च से 14 मार्च के बीच औसत बारिश का आंकड़ा है 12.8 मिलीमीटर जबकि महज़ 5.4 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। इसमें मध्य भारत में सबसे कम बारिश हुई। यहाँ सामान्य से 97% कम वर्षा रिकॉर्ड की गई। कह सकते हैं कि यहाँ मार्च के पहले पखवाड़े में सूखे जैसे हालात रहे। उत्तर-पश्चिम भारत में सामान्य से 62 फीसदी कम बारिश हुई। दक्षिणी राज्यों में 54 प्रतिशत कम और पूर्वी तथा पूर्वोत्तर राज्यों में 35% कम वर्षा हुई।
आंकड़ों के अनुसार मार्च का पहला सप्ताह बारिश के संदर्भ में बेहतर था बनिस्पत दूसरे सप्ताह के। 1 मार्च से 7 मार्च के बीच 4.4 मिलीमीटर वर्षा हुई। जबकि सामान्य वर्षा का आंकड़ा है 6.5 मिलीमीटर। देश भर में हुई बारिश की बात करें तो पहले सप्ताह में सामान्य से 30% कम और दूसरे सप्ताह में सामान्य से 83 फीसदी कम वर्षा हुई।
मार्च के दूसरे सप्ताह में देश के अधिकांश क्षेत्रों में मुख्यतः मौसम शुष्क रहा। सप्ताह के 1 दिन को छोड़कर शेष 6 दिनों में बारिश नहीं हुई। तमिलनाडु और पूर्वोत्तर भारत में दूसरे सप्ताह में महज़ 13 मार्च ऐसा दिन था जब वर्षा हुई। गरज और वर्षा वाले बादलों की ताज़ा स्थिति जानने के लिए नीचे दिए गए मैप पर क्लिक करें।
देश के मौसम का आंकलन करने के लिए सभी भागों को 36 उप-संभागों में विभाजित किया गया है। इन 14 दिनों में महज़ एक उप-संभाग में सामान्य से काफी अधिक वर्षा हुई जबकि 2 में सामान्य से अधिक, 2 में सामान्य, 3 में सामान्य से कम, 21 में ना के बराबर और 17 में मौसम पूरी तरह सूखा रहा।
पहले पखवाड़े में सबसे बेहतर बारिश वाले क्षेत्र जम्मू कश्मीर, पूर्वोत्तर भारत, लक्षद्वीप और अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह रहे। दूसरी ओर गुजरात, बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, कोंकण गोवा, मध्य महाराष्ट्र और रायलसीमा में मौसम पूरी तरह से शुष्क बना रहा।
मार्च का दूसरा पखवाड़ा शुरू हो गया है और तीसरे सप्ताह के आंकड़े बताते हैं कि देश के कई भागों में ठीक-ठाक बारिश हुई है। बंगाल की खाड़ी में विकसित होकर अरब सागर तक पहुंचे डिप्रेशन ने दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत के कई भागों में अच्छी बारिश दी।
मध्य और पूर्वी तथा पूर्वोत्तर भारत में भी चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र और कोन्फ़्लुएन्स ज़ोन के चलते कुछ स्थानों पर बारिश हुई। जबकि पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से उत्तर भारत के पहाड़ों पर अच्छी बर्फबारी और मैदानी क्षेत्र में चक्रवाती सिस्टम के चलते बारिश रिकॉर्ड की गई।
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इसके अलावा आने वाले दिनों में भी देश के कुछ हिस्सों में बारिश की गतिविधियां बढ़ेंगी जिससे बारिश में कमी के आंकड़े में कुछ सुधार देखने को मिलेगा। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार तीसरे सप्ताह में बारिश का प्रदर्शन बेहतर होगा। आखिरी और चौथे सप्ताह में गतिविधियां कम होंगी लेकिन कुछ स्थानों पर बारिश जारी रहेगी।
जैसा कि स्काइमेट ने पूर्व में अनुमान लगाया था कि मार्च में देश में सामान्य वर्षा दर्ज की जाएगी, संभावना है कि इस माह की विदाई तक बारिश के आंकड़े सामान्य के स्तर पर पहुँच जाएंगे। मार्च में यानि प्री-मॉनसून सीज़न में एक विशेषता यह होती है कि बारिश का वितरण एक समान नहीं होता। इस दौरान कहीं मौसम सूखा रह जाता है, कहीं सामान्य बारिश होती है तो कहीं सामान्य से अधिक वर्षा रिकॉर्ड की जाती है।
Image credit: The Indian Express
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